राज्यसभा के नवनिर्वाचित 57 सांसदों में से 27 ने शुक्रवार को शपथ ली. 10 राज्यों के इन 27 सांसदों ने 9 भाषाओं में शपथ ली. राज्यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि जिन लोगों ने शपथ नहीं ली है, वे भी राज्यसभा में मतदान कर पायेंगे. उन्होंने कहा कि संसद का मानसून सत्र में भी कोविड19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा.
शुक्रवार को जिन लोगों ने उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली, उनमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल (Piyush Goyal) शामिल हैं. इनके अलावा जयराम रमेश (Jairam Ramesh), मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik), जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary), सुरेंद्र सिंह नागर (Surendra Singh Nagar) ने भी राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली.
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राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में हाल ही में 57 सांसद चुने गये थे. इनमें से 27 सांसदों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की मौजूदगी में उनके चैंबर में शपथ ली. इन सदस्यों में से 12 ने हिंदी में, 4 ने अंग्रेजी में, 2 ने संस्कृत में, 2 ने कन्नड़ में, 2 ने मराठी में, 2 ने ओड़िया में शपथ ली. एक-एक सदस्यों ने पंजाबी, तमिल और तेलुगु में भी शपथ ली.
शपथ ग्रहण के बाद चर्चा के दौरान यह पूछा गया कि उच्च सदन के नवनिर्वाचित सांसद, जिन्होंने शपथ नहीं ली है, क्या वे राष्ट्रपति चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर पायेंगे, तो एम वेंकैया नायडू ने स्पष्ट किया कि हां, वे भी वोट कर पायेंगे. बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है.
श्री नायडू ने कहा कि राज्यसभा में जिन लोगों को निर्वाचित घोषित कर दिया गया है, वे सदन के सदस्य माने जायेंगे. सदन की सदस्यता की शपथ सिर्फ सदन की गतिविधियों में शामिल होने और कमेटियों में हिस्सा लेने के लिए अनिवार्य होती है.
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नवनिर्वाचित 57 सांसदों में 14 ऐसे हैं, जो दोबारा चुनकर आये हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, जयराम रमेश, विवेक के तन्हा, मुकुल वासनिक, सुरेंद्र सिंह नागर, डॉ के लक्ष्मण, डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी, जयंत चौधरी, कल्पना सैनी, सुलाता देव और आर धरमार शामिल हैं.
नवनिर्वाचित सांसदों को संबोधित करते हुए उच्च सदन के सभापति श्री नायडू ने कहा कि आगामी मानसून सत्र में भी कोविड (Covid19) नियमों का पालन किया जायेगा. सोशल डिस्टैंसिंग और सुरक्षा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा. उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन की गरिमा को बनाये रखें और नियमों के अनुसार ही व्यवहार करें. सदन में उन्हें जो मौका मिले, उसका भरपूर इस्तेमाल करें.