रक्षा विनिर्माण एवं खरीद के लिए दो-तीन महीने में तैयार कर लेंगे नीति : मनोहर पर्रिकर
गांधीनगर : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि सरकार दो-तीन महीने में रक्षा विनिर्माण एवं खरीद पर उद्योग समर्थक नीति लाना चाह रही है. रक्षा विनिर्माण एवं खरीद पर उद्योग समर्थक नीति लाने का मकसद स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात में कमी लाना है. ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट ’ के इतर एक […]
गांधीनगर : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि सरकार दो-तीन महीने में रक्षा विनिर्माण एवं खरीद पर उद्योग समर्थक नीति लाना चाह रही है. रक्षा विनिर्माण एवं खरीद पर उद्योग समर्थक नीति लाने का मकसद स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात में कमी लाना है. ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट ’ के इतर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए 20 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात बिल वहन करना मुश्किल है.
उन्होंने कहा, ‘‘इतने भारी-भरकत आयात बिल का नकारात्मक असर देश की अर्थव्यवस्था, विकास एवं बेरोजगारी के लिए होता है.’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि सामरिक कारणों से भी देश को रक्षा आयातों पर निर्भर नहीं होना चाहिए. इस पृष्ठभूमि के आलोक में मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार रक्षा विनिर्माण एवं खरीद के लिए एक उचित मॉडल पर दो-तीन महीनों में दस्तावेज तैयार करने पर विचार कर रही है.’’ उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रलय जल्द ही फैसला करेगा कि किन साजो-सामान को भारत में बनाना चाहिए और फिर धीरे-धीरे उस सूची में इजाफा किया जाएगा.
बाद में पर्रिकर ने पीटीआइ-भाषा को बताया, ‘‘रक्षा खरीद प्रकिया (डीपीपी) 2015 में रक्षा उत्पादन के लिए उद्योग अनुकूल रखना होगा.’ भारत रक्षा उपकरणों का प्रमुख आयातक देश है और उसने स्थानीय विनिर्माण को बढावा देने के उद्देश्य से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नियमों में ढील के लिए कई कदम उठाए हैं. पर्रिकर ने मौजूदा डीपीपी में ‘कुछ विसंगतियों’ का जिक्र भी किया.