सेना प्रमुख सुहाग ने पाक को दी कड़ी चेतावनी, कहा मानवाधिकार उल्लंघन कतई बरदाश्त नहीं
नयी दिल्ली : आतंकवाद के कारण अपनी जमीन पर अपने ही लोगों की जिंदगियां तबाह होने के बावजूद पाकिस्तान पर, जम्मू कश्मीर में छद्म युद्ध को लगातार समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने आज कहा कि ‘‘सक्रिय सीमाओं ’’ के कारण खतरा और चुनौतियां बढ रही हैं. सेना प्रमुख […]
नयी दिल्ली : आतंकवाद के कारण अपनी जमीन पर अपने ही लोगों की जिंदगियां तबाह होने के बावजूद पाकिस्तान पर, जम्मू कश्मीर में छद्म युद्ध को लगातार समर्थन देने का आरोप लगाते हुए सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने आज कहा कि ‘‘सक्रिय सीमाओं ’’ के कारण खतरा और चुनौतियां बढ रही हैं.
सेना प्रमुख ने कहा कि पिछले महीने पेशावर में एक आर्मी स्कूल पर जघन्य हमले के बाद से यह इंतजार करना पडेगा कि पाकिस्तानी सेना का मन बदला या नहीं. इस हमले की भारत ने भी निंदा की थी.उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सुरक्षा बल अफगानिस्तान के हालात और भारत तक उनकी संभावित पहुंच पर सावधानी से नजर रखे हुए हैं.
सिंह ने अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ हमारी सक्रिय सीमाओं के कारण खतरे और चुनौतियां बढ रही हैं.’’ आतंकवाद पीडित जम्मू कश्मीर में सुरक्षा हालात के बारे में सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ अपने देश में लोगों की जानें जाने के बावजूद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में छद्म युद्ध को समर्थन दे रहा है.’’
वह हाल ही में तालिबान आतंकवादियों के हाथों पाकिस्तान सेना को पहुंची चोट का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने जम्मू कश्मीर में मतदाताओं को सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने में सुरक्षा बलों तथा सेना की सराहना की. हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भारी मतदान हुआ था.उन्होंने कहा, ‘‘ लोग विश्वास के साथ वोट करने के लिए बाहर निकले. सेना और अन्य सुरक्षा बलों ने इसके लिए हफ्तों नहीं बल्कि महीनों कडी मेहनत की.’’
सेना प्रमुख ने इस बात को प्रमुखता से पेश किया कि वर्ष 2014 के दौरान राज्य में सर्वाधिक संख्या में आतंकवादियों को निष्क्रिय किया गया. ऐसे 110 आतंकवादियों में से 104 को सुरक्षा बलों ने मार गिराया.सिंह ने बताया कि पिछले साल 65 आतंकवादी मारे गए थे. उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 का अत्याधिक आंकडा राज्य में स्थापित सेना के आतंकवाद विरोधी अभियानों की प्रभावशीलता को दिखाता है. सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सेना के खिलाफ हालिया हमले ‘‘उनकी हताशा’’ को दिखाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवादियों के हाल के हमले न केवल उनकी हताशा को दिखाते हैं बल्कि इस बात का दुखद स्मरण भी कराते हैं कि पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचा यथावत है.’’ संघर्षविराम उल्लंघन के बारे में सिंह ने कहा कि यह कार्रवाई नियंत्रण रेखा पर नहीं बल्कि धीरे धीरे अंतरराष्ट्रीय सीमा की ओर बढ गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘ यह संभवत: नियंत्रण रेखा पर हमारे घुसपैठ विरोधी ढांचे की मजबूती की वजह से है.’’उन्होंने साथ ही कहा कि ‘‘अवरोधक प्रणाली’’ जैसे उपायों के कारण आतंकवादियों के लिए घुसपैठ मुश्किल हो गयी है.
उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खुले नाले और झरने घुसपैठ प्रयासों में मदद करते हैं. अभियानों में सेना कमांडरों को खुली छूट नहीं दिए जाने की धारणा के बारे में सिंह ने पुरजोर तरीके से इंकार करते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ कमांडरों को पूरी छूट है. जहां तक अभियानों की बात है , कमांडरों को पूरी आजादी है. नियंत्रण रेखा पर उन्हें पाकिस्तान की गोलीबारी का उसी तरीके से जवाब देने की पूरी छूट है जैसा वे उचित समझे.’’
हालांकि सेना प्रमुख ने इस बात को रेखांकित किया कि सेना मानवाधिकार उल्लंघनों के प्रति ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने ’’ का रुख रखती है. अफगानिस्तान के हालात के बारे में सिंह ने कहा कि ‘‘संभावित प्रभाव पर सावधानी से नजर रखी जा रही है.’’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में निश्चित रुप से हालात इस सीमा तक सुधरे हैं कि अब अमेरिका महसूस करता है कि वे सुरक्षा स्थिति को संभालने के लिए देश को अफगान राष्ट्रीय सेना के हवाले कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन निश्चित रुप से वापसी प्रक्रिया के कुछ अपने प्रभाव हैं. उनसे इंकार नहीं किया जा सकता. और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा.’’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ आतंकवादी तंत्र अफगानिस्तान से हमारी ओर पांव फैला सकता है और जम्मू कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसका प्रभाव महसूस किया जा सकता है. हम इस आशंका के प्रति जागरुक हैं और इसी के कारण हम सावधानी से नजर रख रहे हैं.’’
सेना प्रमुख ने कहा कि घुसपैठ विरोधी प्रयासों को रोकने के लिए उनके बल की बेहतर व्यवस्था है. उन्होंने कहा, ‘‘ जब भी हमें जरुरत होगी कि इसे और मजबूत करने की जरुरत है तो निश्चित रुप से हम करेंगे.’’ सेना प्रमुख ने कहा कि बल को आधुनिक बनाए जाने और ‘‘विभिन्न चुनौतियों ’’ के मद्देनजर इसकी संचालनात्मक प्रभावशीलता को बढाए जाने की जरुरत है. सिंह ने कहा कि छह महीने पहले सेना प्रमुख का पदभार संभालने के बाद से उन्होंने अपना नजरिया पेश किया है और सेना के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की है.