नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी कैबिनेट के सदस्यों और भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. कहा कि एनडीए सरकार की तानाशाही प्रवृतियां हैं.
यह लोकसभा चुनाव के दौरान अपनायी गयी ध्रुवीकरण की रणनीति का विस्तार है. सोनिया गांधी ने बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जनता तक पहुंचने के रास्ते और उपायों के बारे में सुझाव देने को कहा. कहा कि पार्टी में ढांचागत बदलाव के साथ साथ नेतृत्व के स्टाइल में भी बदलाव किये जाने की जरूरत है. पार्टी को मजबूत बनाने का प्रमुख तंत्र यह होगा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के आधार का विस्तार किया जाये. उन्होंने उम्मीद जतायी कि कांग्रेस एकबार फिर मजबूती से आगे बढ़ेगी.
भाजपा ने किया पलटवार
भाजपा ने सानिया गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल विकास के रास्ते में बाधक की भूमिका निभा रहा है. सवाल किया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी पार्टी के नेताओं के पाकिस्तान समर्थक और आतंकवाद समर्थक बयानों पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. भाजपा के सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री का मिशन सुशासन और विकास है, जबकि कांग्रेस का मिशन ‘करप्शन और कमीशन’ है.
पार्टी संविधान में होगा बदलाव
पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि कांग्रेस अपने संविधान में बदलाव करेगी. उन्होंने बताया कि पार्टी नेताओं ने इस पर विचार किया कि क्या पार्टी अधिकारियों के कार्यकाल को पांच वर्ष रखा जाये, जैसा कि 2010 में बुराडी सम्मेलन में पार्टी विधान में संशोधन करके किया गया था या उसे पहले की तरह तीन साल का बनाया जाये. इस बैठक में एनएसयूआइ, महिला संगठन, सेवा दल के सदस्य अलग-अलग हों या एक ही सदस्य हो इस पर खुली बहस आमंत्रित की गयी है. पिछले साल मई में लोकसभा चुनावों में मिली भारी पराजय के बाद कांग्रेस कार्य समिति की यह वस्तुत: दूसरी महत्वपूर्ण बैठक थी.