Loading election data...

सरकार को तानाशाह बुलाने पर भाजपा का कांग्रेस पर पलटवार, सोनिया से पूछा – क्या नेहरू और इंदिरा भी तानाशाह थे!

नयी दिल्ली: नरेन्द्र मोदी सरकार पर ‘‘तानाशाही प्रवृत्ति’’ और ‘‘अध्यादेश के जरिए’’ शासन चलाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने आज उनसे सवाल किया कि क्या वह पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को भी ‘‘तानाशाह’’ मानेंगी जिनकी सरकारों के समय क्रमश: 70 और 195 अध्यादेश जारी हुए. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 7:52 PM

नयी दिल्ली: नरेन्द्र मोदी सरकार पर ‘‘तानाशाही प्रवृत्ति’’ और ‘‘अध्यादेश के जरिए’’ शासन चलाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने आज उनसे सवाल किया कि क्या वह पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को भी ‘‘तानाशाह’’ मानेंगी जिनकी सरकारों के समय क्रमश: 70 और 195 अध्यादेश जारी हुए.

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 195 अध्यादेश जारी हुए थे और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय 70 अध्यादेश.उन्होंने कहा, ‘‘सोनिया गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि नेहरु तानाशाह थे या लोकतांत्रिक ? इंदिरा गांधी को वह क्या कहेंगी ? क्या वह तानाशाह थीं ?’’ नायडू ने कहा कि 1971 से 1977 के दौरान तो इंदिरा गांधी के कार्यकाल में रिकार्ड 99 अध्यादेश जारी हुए यानी हर तीन महीने पर दो अध्यादेश. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी सरकार के समय 35 अध्यादेश जारी हुए और इन सभी की सरकारों को बडा जनादेश प्राप्त था.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मोदी सरकार पर ‘‘तानाशाही प्रवृत्ति’’ वाला होने का आरोप लगाते हुए कहा था वह संसद को नजरअंदाज करके अध्यादेशों से कानून बनाने का रास्ता अपना रही है. नायडू ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने ही नहीं बल्कि उसके समर्थन से चलने वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने भी 1996 से 1998 के बीच 77 अध्यादेश जारी किए थे.
मोदी सरकार की ओर से जारी अध्यादेशों पर कांग्रेस अध्यक्ष की आलोचनाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा संसद की कार्यवाही ठप्प कर देने और राज्यसभा में काम नहीं करने देने के कारण सरकार अध्यादेश जारी करने पर ‘‘बाध्य’’ हुई है.
संसदीय कार्य मंत्री ने हालांकि कहा कि अध्यादेश के बारे में सरकार विपक्ष की चिंताओं पर विचार करेगी और संसद के आगामी सत्र में उन्हें मंजूरी दिलाने के समय इसका निराकरण करेगी.

Next Article

Exit mobile version