द्रमुक सरकार की जांच ने जयललिता की संपत्तियों का आंका अधिक मूल्य : वकील
बेंगलुरु : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता एवं तीन अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में अन्नाद्रमुक नेता के वकील ने आज कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा कि द्रमुक सरकार नीत जांच में जयललिता की संपत्ति का मूल्य जान-बूझकर अधिक आंका गया. जयललिता के वकील एल नागेश्वर राव ने न्यायमूर्ति सी आर […]
बेंगलुरु : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता एवं तीन अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में अन्नाद्रमुक नेता के वकील ने आज कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा कि द्रमुक सरकार नीत जांच में जयललिता की संपत्ति का मूल्य जान-बूझकर अधिक आंका गया.
जयललिता के वकील एल नागेश्वर राव ने न्यायमूर्ति सी आर कुमारस्वामी के समक्ष यह बात कही. अन्नाद्रमुक प्रमुख एवं तीन अन्य ने अपने को दोषी ठहराये जाने के खिलाफ जो अपील दायर की हैं, न्यायमूर्ति कुमारस्वामी उनकी दिन प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई कर रहे हैं.
जयललिता एवं तीन अन्य को भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 की धारा 13(1) (ई) के तहत दोषी ठहराया गया है. विशेष पीठ उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर 18 दिसंबर को गठित की गयी ताकि जयललिता की अपील पर तीन माह में सुनवाई की जा सके.
राव ने कहा कि सुनवाई अदालत ने आयकर न्यायाधिकरण द्वारा दी गयी क्लीन चिट का हवाला दिया था लेकिन फैसला सुनाते हुए इस पर विचार नहीं किया. अदालत ने जयललिता एवं तीन अन्य को चार साल की जेल की सजा सुनायी और अन्नाद्रमुक प्रमुख पर 100 करोड रुपये का भारी जुर्माना लगाया. न्यायमूर्ति कुमारस्वामी ने इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को तय की है.
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने जयललिता को सशर्त जमानत दी थी. अन्नाद्रमुक नेता को निचली अदालत ने 27 सितंबर को जेल में भेजा दिया था.
इस बीच, जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपित्त के मामले से विशेष लोक अभियोजक भवानी सिंह को हटाने के लिये द्रमुक नेता के अंबझागन की याचिका आज इस प्रकरण की सुनवाई कर रही विशेष पीठ के पास वापस भेज दी गयी.
कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने कहा, चूंकि आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ प्रतिवादियों की अपील पर न्यायमूर्ति सी आर कुमारस्वामी सुनवाई कर रहे हैं इसलिए मैं इस याचिका (अंबझागन द्वारा दायर) को वापस विशेष पीठ के पास भेजता हूं, जो उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार मामले की सुनवाई कर रही है. न्यायमूर्ति नजीर ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश डी एच वाघेला हालांकि (अंबझागन की याचिका के आवंटन पर) आदेश देंगे.
न्यायमूर्ति कुमारस्वामी ने सात जनवरी को अदालत की कार्यवाही को बाधित करने के कारण अंबझागन को चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने सिंह को विशेष लोक अभियोजक के पद से हटाने का ज्ञापन दिया तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही की जायेगी.
न्यायमूर्ति कुमारस्वामी ने तब अंबझागन को निर्देश दिया था कि वह उच्च न्यायालय से आदेश लें क्योंकि उनका काम सिर्फ जयललिता और तीन अन्य द्वारा अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई करने का है.
कर्नाटक सरकार ने कहा है कि सिंह को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है क्योंकि मामला उसके दायरे में नहीं है.