पटना : नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखने के विचार व्यक्त करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लेने की भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद चंदन मित्रा की टिप्पणी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि यह बिलकुल अधिनायकवादी सोच का परिचायक है.
यह भारतीय संविधान की मूल भावना के प्रतिकूल है और इसकी जितनी निंदा की जाये कम है.पटना में आज पत्रकारों से नीतीश ने कहा कि भारत के संविधान में लोगों को अपने विचार प्रकट करने की आजादी है और ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता.
उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अमर्त्य सेन जी के किसी विषय पर विचार प्रकट करने के लिए अगर उनको धमकाया जाता है कि हम उनका भारत रत्न वापस ले लेंगे, यह अधिनायकवादी सोच का परिचायक है.
नीतीश ने कहा कि ऐसा करना किसी के लिए संभव नहीं है. कोई मन में भ्रम पाल सकता है लेकिन इस देश में ऐसा करना नामुमकिन है.उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के हिमायती और देश एवं दुनिया में विद्यमान गरीबी के प्रति चिंता रखने वाले डॉअमर्त्य सेन जैसे महान अर्थशास्त्री ने अगर कोई विचार व्यक्त किये हैं और उस आधार पर कोई इस दूरी तक जाये और धमकाये कि भारत रत्न की उन्हें जो उपाधि दी गयी है उसे छीन लिया जाये, इसका उनकी पार्टी जदयू ने कडा विरोध किया है.
जदयू के भाजपा से नाता तोड लिए जाने की ओर इशारा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि किस तरह की सोच वाले ये लोग हैं और इससे एक बात तो साफ होती है कि हमलोगों ने जो फैसला किया है वह कितना सही है.
उन्होंने दावा किया कि ऐसे लोगों को केंद्र में सत्ता में आने का मौका मिलने वाला नहीं पर यह कल्पना की जा सकती है ये लोग कैसी सोच रखते हैं और दावा करते हैं कि देश का नेतृत्व करेंगे और आगे ले जायेंगे. ये तो देश को पीछे ले जाने वाली बात है.
नीतीश ने कहा कि इस तरह की सोच को जनता ने पहले भी नकारा है और आगे भी नकारेंगे. इस देश की मूल भावना लोकतंत्र के प्रति है.