संसदीय धर्म का पालन करें सदस्य : मीरा कुमार
नयी दिल्ली: संसद के पिछले कई सत्रों से लगातार कार्रवाई बाधित होने और कुछ विधेयक बिना चर्चा के पारित होने से बेहद खिन्न लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि सदन को चलाना किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है और संसद बाधित होने के लिए सभी जिम्मेदार हैं. पांच अगस्त से शुरु हो रहे […]
नयी दिल्ली: संसद के पिछले कई सत्रों से लगातार कार्रवाई बाधित होने और कुछ विधेयक बिना चर्चा के पारित होने से बेहद खिन्न लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि सदन को चलाना किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है और संसद बाधित होने के लिए सभी जिम्मेदार हैं.
पांच अगस्त से शुरु हो रहे संसद के मानसून सत्र से पूर्व मीरा कुमार ने बातचीत में कहा, 545 सदस्यों का सदन है. सदन को सभी लोगों के सहयोग से ही चलाया जा सकता है. दो सदस्य भी कार्यवाही में बाधा डालते हैं तो सदन को स्थगित करना पड़ता है.
सदन चलाना मेरी भी जिम्मेदारी है. सदस्यों की भी जिम्मेदारी है. गौरतलब है कि 13वीं और 14वीं लोकसभा में कार्य निष्पादन की दर क्रमश: 91 और 87 फीसदी थी जो वर्तमान 15वीं लोकसभा में घटकर 72 फीसदी पर आ गयी है. उच्चतम न्यायालय द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का एक प्रावधान निरस्त करने के हालिया ऐतिहासिक फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए अध्यक्ष ने कहा, मैं न्यायालय की भावना का स्वागत करती हूं.
हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण का पूरा समय व्यर्थ चला गया और एक दिन भी प्रश्नकाल नहीं हो सका. इस दौरान केवल संवैधानिक रुप से आवश्यक वित्तीय कामकाज ही निपटाए जा सके.
संसद की कार्यवाही के सुचारु संचालन और उसमें भी प्रश्नकाल की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, कार्यवाही का सुचारु संचालन सदस्यों का संसदीय और लोकतांत्रिक धर्म है , जिसका उन्हें पालन करना चाहिए. यह उनकी जिम्मेदारी भी है और जवाबदेही भी.