तिरुअनंतपुरम: लीला सैमसन के सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के निर्णय से उपजी राजनीतिक हलचल के बीच आज वित्त मंत्री के अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्री का प्रभार वाले अरुण जेटली ने कहा कि राजग सरकार फिल्मों को सेंसर प्रमाण पत्र देने के सभी मामले से अपने को दूर ही रखती है.
उन्होंने पूर्व के संप्रग सरकार पर इसका ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि संप्रग सरकार ने सेंसर बोर्ड का राजनीतिकरण कर दिया था. उन्होंने संप्रग सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह खेदजनक है कि बोर्ड में संप्रग के समय नियुक्त सदस्यों ने सामान्य मुद्दों पर भी राजनीति करनी शुरु कर दी है.
सेंसर बोर्ड से जुडे इस्तीफा प्रकरण के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि फिल्मों के प्रमाणन से जुडे विषयों से सरकार एक हाथ की दूरी बनाकर रहती है और कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही है.
जेटली ने कहा कि न तो उन्होंने, न ही उनके कनिष्ठ मंत्री राज्यवर्धन राठौर और न ही किसी नौकरशाह ने सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य के साथ कभी कोई संवाद किया और बोर्ड में संप्रग की ओर से नियुक्त निवर्तमान लोगों ने उनके समक्ष कभी भी भ्रष्टाचार का कोई मुद्दा नहीं उठाया.
जेटली ने फेसबुक पर ‘रेबेल्स विदाउट ए कौज’ (बिना कारण की बगावत) शीर्षक से लेख में कहा, ‘‘ राजग सरकार फिल्मों के प्रमाणन से जुडे सभी मुद्दों से एक हाथ की दूरी बनाकर रखती है.’’ वित्त मंत्री का फेसबुक पर यह लेख सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन एवं कुछ अन्य सदस्यों द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरुमीत रामरहीम सिंह की फिल्म ‘मैंसेजर आफ गॉड’ को मंजूरी देने पर इस्तीफा देने से जुडे विषय से संबंधित है.
कांग्रेस पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में सरकार ने जाने माने अभिनेता अनुपम खेर के नेतृत्च वाले सेंसर बोर्ड को केवल इसलिए भंग कर दिया था कि उन्हें पूर्व की सरकार ने नियुक्त किया था.
उन्होंने कहा, ‘‘ संप्रग सरकार ने सेंसर बोर्ड को राजनीतिक रंग दिया था. हम ऐसा नहीं करना चाहते. यह खेदजनक है कि संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त लोगों ने सामान्य विषयों को राजनीतिक रंग देने का निर्णय किया.’’
सदस्यों ने पत्र में कहा, ‘‘हमारा यह रुख है कि सरकार द्वारा जिस अहंकारी और उपेक्षापूर्ण रवैये के साथ बोर्ड से बर्ताव किया जा रहा है उसमें पूरी क्षमता और स्वायत्तता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करना असंभव हो गया है. जिस तरीके से मंत्रलय द्वारा अध्यक्ष से बर्ताव किया जा रहा था, हम उस पर भी आपत्ति जताते हैं, जो हमें हम सभी के लिए अपमानजनक लगता है.’’
लीला सैमसन ने कल कहा था कि उन्होंने सेंसर बोर्ड के ‘‘अधिकारियों और पैनल सदस्यों के भ्रष्टाचार और दबाव तथा हस्तक्षेप के हालिया मामलों’’ के कारण पद छोडा है. डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ को फिल्म न्यायाधिकरण द्वारा मंजूरी दिए जाने से पैदा हुए विवाद के बीच लीला ने अपने पद से इस्तीफा दिया था.
बहरहाल, जेटली ने पलटवार किया, ‘‘हममें से (वह और राज्य मंत्री राठौड) किसी ने भी सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य से संपर्क नहीं किया या चाहा कि कोई नौकरशाह ऐसा करे. मैं न तो सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य से मिला हूं और न ही उनसे बात की है और न ही किसी को ऐसा करने के लिए अधिकृत किया है. यूपीए ने केंद्रीय सेंसर बोर्ड की जो नियुक्ति की थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यदि कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो यूपीए द्वारा नियुक्त किए गए लोग खुद ही इसके जिम्मेदार होंगे. बेहतर होता यदि सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष ने कम से कम एक बार मुङो भ्रष्टाचार के बारे में बताया होता. गैर कामकाजी अध्यक्ष ने ऐसा कभी नहीं किया. सेंसर बोर्ड की बैठकें न बुलाए जाने का आरोप तो उनके लिए आत्मनिंदा करने जैसा है.’’