मायावती ने फिर की उप्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग

लखनउ : बहुजन समाज पार्टी(बसपा )अध्यक्ष मायावती ने आज उत्तर प्रदेश सरकार पर अपनी नाकामियों को छिपाने के मकसद से लैपटाप वितरण समेत विभिन्न योजनाओं पर जनता के धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की एक बार फिर मांग की. मायावती ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में आरोप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2013 3:12 PM

लखनउ : बहुजन समाज पार्टी(बसपा )अध्यक्ष मायावती ने आज उत्तर प्रदेश सरकार पर अपनी नाकामियों को छिपाने के मकसद से लैपटाप वितरण समेत विभिन्न योजनाओं पर जनता के धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की एक बार फिर मांग की.

मायावती ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में कानूनव्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है. मीडिया जितना दिखरहा है, हालात उससे भी ज्यादा खराब हैं. सरकार हर मोर्चे पर विफल हो चुकी है. वह समयसमय पर अपनी नाकामियों की तरफ से जनता का ध्यान हटाने के लिये लैपटाप वितरण, बेरोजगारी भत्ता वगैरह के वितरण का नाटक शुरु कर देती है.

उन्होंने आरोप लगाया, सरकार लैपटाप बांट रही है. जितने के लैपटाप नहीं, उससे ज्यादा खर्च तो उनके वितरण के आयोजन में हो रहा है. शुरुआत के तौर पर आयोजन किये जा सकते थे. बाद में अधिकारियों के जरिये लैपटाप और बेरोजगारी भत्ता बांटा जा सकता था. सवाल यह है कि क्या यह जनहित में है. क्या यह जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं है.

मायावती ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में पार्टी के राज्य स्तर से लेकर बूथ स्तर तक के संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक में वर्तमान सपा सरकार की कार्यप्रणाली के बारे में मैंने जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की. जो स्थिति पता लगी वह बहुत खराब है.

उन्होंने कहा मुझे खासकर कानूनव्यवस्था की रिपोर्ट बहुत ही खराब मिली. बहनबेटियों की स्थिति तो बहुत ज्यादा खराब है. कोई भी परिवार अपनी बहन बेटी को अकेले घर से बाहर भेजने में घबराता है. मैंने पहले भी राज्यपाल से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की अपील की थी. मैं खुद को मिली रिपोर्ट के आधार पर आज राज्यपाल से एक बार फिर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की अपील करती हूं.

मायावती ने समाजवादी पार्टी :सपा: सरकार पर कल रद्द की गयी राज्य लोकसेवा आयोग की विवादास्पद नई नीति को केवल यादव समाज को आगे बढ़ाने के मकसद से तैयार करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यादव समाज के लोगों को नौकरी में ज्यादा से ज्यादा भर्ती करने के मकसद से वर्षो पुरानी आरक्षण नीति बदलकर नई नीति लागू कर दी थी. लेकिन जब प्रभावित अभ्यर्थी अदालत की शरण में गये तो न्यायालय की सख्ती को देखते हुए सपा सरकार को उसका निर्णय आने से पहले ही इस नई आरक्षण नीति को बदलकर पुरानी व्यवस्था बहाल करनी पड़ी.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस नई नीति के तहत राज्य में पहले आरक्षण की पुरानी व्यवस्था में आरक्षित वर्ग को अंतिम परिणाम में ओवरलैपिंग का लाभ दिया जाता था लेकिन आयोग ने सिर्फ यादव समाज को लाभ देने के लिये इस नियम को बदलकर परीक्षाओं के सभी स्तर में आरक्षित वर्ग को ओवरलैपिंग का लाभ देने का फैसला किया था. इससे सामान्य वर्ग के अवसर कम हो रहे थे. ऐसा करके सरकार बेरोजगारों की फौज बनाये रखना चाहती थी.

मायावती ने कहा, मैं मीडिया के जरिये अदालत से अपील करती हूं कि वह अपने हक के लिये आंदोलन करने के कारण सपा सरकार की ओर से गम्भीर धाराओं में दर्ज कराये गये मुकदमों में फंसे नौजवानों के मुकदमे वापस लेने के आदेश दे. उन्होंने कहा कि वर्तमान सपा सरकार द्वारा यादव समाज को छोड़कर बाकी की हर मामले में हर स्तर पर उपेक्षा की जा रही है. अपेक्षा है कि इसकी सजा उसे आगामी सभी चुनावों में मिलेगी.

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