राजनीति में बयानवीर नेताओं की लंबी होती सूची
नयी दिल्ली: राजनीति में अपने बड़बोले बयानों से चर्चाओं और विवादों में रहने वाले नेताओं की सूची पिछले कुछ दिनों में लंबी होती जा रही है.लोकसभा चुनाव में महज एक साल से भी कम का समय है और ऐसे में राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है. हाल ही में अपने बयानों के लिए अनेक […]
नयी दिल्ली: राजनीति में अपने बड़बोले बयानों से चर्चाओं और विवादों में रहने वाले नेताओं की सूची पिछले कुछ दिनों में लंबी होती जा रही है.लोकसभा चुनाव में महज एक साल से भी कम का समय है और ऐसे में राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है. हाल ही में अपने बयानों के लिए अनेक नेता विवादों में रहे हैं और आलोचनाओं के बाद उन्हें अपने बयान वापस लेने पड़े हैं या उन पर सफाई देनी पड़ी है.
इन नेताओं की सूची में ताजा नाम कांग्रेस के राज बब्बर और रशीद मसूद, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला और भाजपा के चंदन मित्र का लिया जा सकता है. बब्बर ने बंबई में 12 रुपये में पेटभर खाना मिलने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया था और मीडिया तथा खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया को नया मसाला मिल गया. उनसे भी एक कदम आगे बढ़कर मसूद और अब्दुल्ला ने तो क्रमश: 5 रुपये और 1 रुपये में ही खाना मिल जाने की बात कह डाली. हालांकि बाद में राज बब्बर और फारुख अब्दुल्ला ने अपने बयानों पर अफसोस जता दिया.
उधर मोदी को लेकर अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के बयानों पर मित्र ने उनका भारत–रत्न सम्मान वापस लिये जाने की दलील दी. भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि अंग्रेजी भाषा ने भारत को बहुत नुकसान पहुंचाया है और देश की संस्कृति का क्षय हुआ है. इसके बाद भाषा पर नया बखेड़ा खड़ा हो गया और नेताओं तथा प्रबुद्ध वर्ग ने राजनाथ पर दकियानूसी होने का आरोप लगाया. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी इस बयान से इत्तेफाक नहीं जताया. बहरहाल पिछले कुछ दिनों में सियासत का सबसे बड़ा विवाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कुत्ते के बच्चे संबंधी बयान से ही पैदा हुआ.
(सुनील गताड़े)