कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न को लेकर डब्ल्यूसीडी ने तय किये नियम

नयी दिल्ली: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से आरोपी की नौकरी जा सकती है, उसकी पदोन्नति एवं वेतन वृद्धि रुक सकती है और शिकायतकर्ता को उपयुक्त मुआवजा देना पड़ सकता है.कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 लागू करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रलय इन दंडों का प्रावधान कर रहा है जो फरवरी में प्रभाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2013 4:21 PM

नयी दिल्ली: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से आरोपी की नौकरी जा सकती है, उसकी पदोन्नति एवं वेतन वृद्धि रुक सकती है और शिकायतकर्ता को उपयुक्त मुआवजा देना पड़ सकता है.कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 लागू करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रलय इन दंडों का प्रावधान कर रहा है जो फरवरी में प्रभाव में आया.

प्रस्तावित नियमों के मुताबिक अगर आरोपी के खिलाफ आरोप गलत साबित हुए और जांच के बाद इसे दुर्भावनापूर्ण पाया गया तो शिकायतकर्ता को भी वैसे ही दंडों का सामना करना होगा जैसा आरोपियों के खिलाफ प्रावधान है.

नियमों में एक स्थानीय शिकायत समिति के गठन का सुझाव है जिसमें पांच वर्षों के अनुभव वाला एक सामाजिक कार्यकर्ता, श्रम, रोजगार, सिविल या आपराधिक कानून के जानकार व्यक्ति शामिल होंगे.

जिला स्तर पर समन्वित बाल सुरक्षा योजना या महिलाओं के लिए जिला स्तर के किसी संकट केंद्र के तहत गठित बाल सुरक्षा सोसायटी इस समिति को साजो..सामान मुहैया कराएगी.

शिकायत की जांच के तरीकों के तहत आरोपी को दस्तावेजों की सूची और गवाहों के बारे में विस्तार से शिकायत के दस दिनों के अंदर जवाब देना होगा और शिकायत समिति को इसके बाद दस दिनों के अंदर सुनवाई करनी होगी.

नियमों के तहत समिति को सुनिश्चित करना होगा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच आमने..सामने की स्थिति नहीं बने.

नियमों के तहत समिति आरोपी को बयान की एक प्रति मुहैया कराएगी और अगर आरोपी बयान से सहमत नहीं है तो आरोपी को आरोपों की मनाही का अवसर दिया जाएगा.

कार्यवाही के दौरान किसी भी वक्त दोनों पक्षों में से किसी को भी मामले में जिरह के लिए कानूनी प्रतिनिधियों को लाने की अनुमति नहीं होगी.

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