जानिए कैसे पड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम पर एक गांव का नाम कार्टरपुरी और ओबामा का भारत दौरा
नयी दिल्ली : तीन दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के चार दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं. उनके भारत दौरे पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की यह दूसरी भारत यात्र होगी, जबकि भारत दौरे पर आने वाले वे छठे राष्ट्रपति होंगे. उनसे पहले ड्वाइट डेविड आइजनहावर, रिचर्ड […]
नयी दिल्ली : तीन दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के चार दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं. उनके भारत दौरे पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की यह दूसरी भारत यात्र होगी, जबकि भारत दौरे पर आने वाले वे छठे राष्ट्रपति होंगे. उनसे पहले ड्वाइट डेविड आइजनहावर, रिचर्ड निक्सन, जिमी कार्टर, बिल क्लिंटन, जार्ज डब्ल्यू बुश भारत के दौरे पर आ चुके हैं. ओबामा की यह यात्र इस मायने में अहम है कि वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, जो अपने पूरे कार्यकाल में दूसरी बार भारत यात्र पर पहुंच रहे हैं.
ओबामा की यह यात्र इस मायने में भी खास है कि उन्होंने भारत के साथ रिश्तों की जो गर्मजोशी दिखायी है, वैसी गर्मजोशी महज तीन राष्ट्रपतियों ने दिखायी है. इस सूची में दो अन्य राष्ट्रपति हैं – बिल क्लिंटन और जार्ज डब्ल्यू बुश. दिलचस्प यह कि अमेरिकी राष्ट्रपति जब भारत के दौरे पर आते हैं तो वे ताजमहल को देखने की अपनी ललक को रोक नहीं पाते.
ताजमहल देखने का मोह
ड्वाइट डेविड आइजनहावर भी जब नौ से 14 दिसंबर 1959 तक भारत की यात्र पर थे, तो वे ताजमहल देखने गये थे. इस दौरान उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक जनसभा को भी संबोधित किया. अपने दौरे के दौरान उन्होंने भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति की तारीफ की थी, लेकिन यह भी कहा था कि भारत से उसका दिमाग का रिश्ता है, जबकि पाकिस्तान से दिल का रिश्ता है. संभवत: आइजनहावर ने यह बयान इस संदर्भ में दिया था कि उस समय पाकिस्तान अमेरिकी के पक्ष में खड़ा था.
इंदिरा के कार्यकाल में 22 घंटे के लिए आये थे निक्सन
आइजनहावर के दौरे के लगभग एक दशक बाद अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन अपने 31 जुलाई से एक अगस्त 1969 के बीच 22 घंटे के लिए भारत आये थे. हालांकि वे उपराष्ट्रपति के रूप में भारत आये थे. उनके 24 घंटे से भी कम समय के इस दौरे को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से तल्ख रिश्तों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. निक्सन भारत से सीधे पाकिस्तान गये. वहां लाहौर में उनका भव्य स्वागत किया गया.
जनता पार्टी के शासन में नजदीकी बढ़ाने की कोशिश
निक्सन के दौरे के लगभग नौ साल बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर एक से तीन जनवरी 1978 तक भारत के दौरे पर आये. उनका यह दौरा जनता पार्टी को चुनाव में मिली जबरदस्त जीत से जुड़ा हुआ माना जाता है. कार्टर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को कम्युनिस्ट विरोधी मानते थे. ऐसे में वे इस उद्देश्य से भारत आये थे कि भारत की सोवियत संघ समर्थित नीतियां खत्म हो जायें. यह दौरा इंदिरा गांधी के शासन में हुए परमाणु परीक्षण के बाद रिश्तों पर जमी बर्फ को पिछलाने के उद्देश्य से भी जुड़ा था.
कार्टर के नाम गांव का नाम पड़ा कार्टरपुरी
दिलचस्प यह कि एक राष्ट्राध्यक्ष से इतर कार्टर का भारत से अपना निजी जुड़ाव था. उनकी मां लिलियन ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के पीस कोर संगठन के रूप में भारत में कुछ साल काम किया था. कार्टर अपने दौरे के दौरान गुड़गांव के उस गांव में गये, जिस गांव में उनकी मां ने काम किया था. उन्होंने उस गांव को आर्थिक सहायता व कुछ उपहार दिये. उनसे प्रभावित होकर उस गांव का नाम ही कार्टरपुरी कर दिया गया, जो आज भी अस्तित्व में है. हालांकि उनकी यह इच्छा थी कि भारत परमाणु शक्ति नहीं बने, जिसे स्वीकार नहीं किये जाने पर संबंध सिरे नहीं चढ़ सके.
22 साल तक रिश्तों में रहा ठंडापन
कार्टर की भारत यात्र के बाद एक तरह से भारत-अमेरिका के रिश्ते में एक तरह से ठंडापन रहा. लेकिन 22 साल बाद जब बिल क्लिंटन 2000 में भारत के दौरे पर आये तो दोनों देशों के रिश्ते नये सिरे से आगे बढ़े. क्लिंटन 21 से 25 मार्च तक भारत की यात्र पर रहे. उन्होंने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. उनका प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत किया गया. वे अपने दौरे में नयी दिल्ली के अलावा, मुंबई, जयपुर, हैदराबाद भी गये. वहीं, यहां से वापसी के दौरान वे मात्र पांच घंटे पाकिस्तान में रुके. क्लिंटन क यह दौरा 1998 में पोखरण – दो के बाद अमेरिका द्वारा लगाये गये प्रतिबंध के बाद हुआ था और इस यात्र से भारत-अमेरिका द्विपक्षीय रिश्तों के नये युग का आगाज हुआ.
बुश के समय रिश्तों में आयी नयी ऊंचाई
क्लिंटन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश भारत के दौरे पर आये. वे एक से तीन मार्च 2006 तक भारत के दौरे पर थे. उनके दौरे के दौरान भारत-अमेरिका रिश्ता नयी ऊंचाई पर पहुंचा, लेकिन वाम दलों के विरोध के चलते उनके समर्थन से चल रही डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बुश से संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित नहीं कर सकी. ऐसे में उन्होंने दिल्ली के पुराना किला में चुनिंदा लोगों को संबोधित किया. उनके कार्यकाल में असैन्य परमाणु करार हुआ और भारत दुनिया का एकमात्र देश हो गया, जो परमाणु अप्रसार संधि से बाहर रह कर भी इसके लिए वाणिज्यिक कार्य कर सकता है. बुश यह मानते थे कि उन्हें भारत के लोग बहुत प्रेम करते हैं.
चार साल दो महीने में ओबामा का दूसरा दौरा
बुश के बाद छह से नौ नवंबर 2010 तक बराक ओबामा भारत के दौरे पर आये. उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी उनके साथ थीं. इस दंपत्ती ने काफी लोकप्रियता यहां बटोरी. ओबामा 26/11 के मुंबई हमले में बचे लोगों से भी मिलने गये. उन्होंने भारत-अमेरिका रिश्ते को 21वीं सदी को परिभाषित करने वाला बताया. उनके दौरे के दौरान बड़ा कारोबारी करार भी हुआ. अब, चार साल बाद एक बार फिर ओबामा फिर भारत आ रहे हैं. वे ऐसे समय में भारत आ रहे हैं, जब उन्होंने नरेंद्र मोदी को मेन विद् एक्शन करार दिया है और कई अवसरों पर उनके तारीफों के पुल बांधे हैं. ओबामा ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे जो गणतंत्र दिवस पर भारत के मेहमान होंगे. महत्वपूर्ण बात यह कि ओबामा और नरेंद्र मोदी यहां आकाशवाणी पर एक साथ मन की बात करेंगे. इससे पहले ये दोनों नेता वाशिंगटन में एक अखबार में साझा संपादकीय लिख चुके हैं.
(बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार के इनपुट पर आधारित)