जयपुर : अर्थशास्त्री और हाल ही में नियुक्त नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया ने कहा है कि विकास के मामले में राजस्थान कई अन्य राज्यों से आगे निकल आया है और उसे अब बीमारू राज्य नहीं माना जाता है. यहां जयपुर साहित्य महोत्सव में उन्होंने कहा कि ‘बीमारू’ शब्द एक काल्पनिक नाम है जिसका उपयोग राजस्थान के लिये किया जाता है. वास्तविक रूप से यहां बीमारू जैसा कुछ नहीं है. कई राज्य हैं जो विकास के मामले में राजस्थान से पिछडे हैं और आने वाले वर्षों में जीडीपी के संदर्भ में यह पश्चिम बंगाल से आगे होगा.’
बीमारू शब्द चार राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लिये इस्तेमाल किया जाता है. जनसंख्या मामलों के विशेषज्ञ तथा आर्थिक विश्लेशक आशीष बोस ने 1980 के मध्य में इस शब्द का प्रयोग किया था. इसका इस्तेमाल चारों पिछडे राज्यों की खराब आर्थिक स्थिति को रेखांकित करने के लिये किया जाता था. ‘राजस्थान : बीमारू से बाहर’ विषय पर अर्थशास्त्री विवेक देबराय, लेखक तथा समीक्षक मालविका सिंह तथा पत्रकार ओम थानवी और अशोक मलिक से बातचीत कर रहे थे.
देबराय को नीति आयोग का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया है. पनगढिया ने कहा, ‘मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली राजस्थान सरकार ऐसे कदम उठाये हैं और ऐसे सुधारों को आगे बढाया है जिस पर पहले केवल चर्चा होती थी लेकिन उनकी सरकार ने श्रम सुधारों को आगे बढाने का साहस दिखाया. अंत में रोजगार और वृद्धि महत्वपूर्ण है.’उन्होंने कहा, ‘राजस्थान के जीडीपी में विनिर्माण का योगदान 10 प्रतिशत है और राज्य इस क्षेत्र में आगे बढ रहा है.’ मालविका सिंह ने कौशल विकास तथा मानव संसाधन के लिये राज्य सरकार की ओर से उठाये गये कदमों की सराहना की.