नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जनता की मदद हेतु कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेन्सियों के पेज पर अपनी शिकायत के लिये टिप्पणी करना अपराध नहीं है. न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा और न्यायमूर्ति आर बानुमति की खंडपीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही बेंगलुरु के एक दंपति को राहत प्रदान की. इस दंपति ने एक पुलिस अधिकारी के दुव्यर्वहार के बारे में फेसबुक पर बेंगलुरु यातायात पुलिस के पेज पर अपनी शिकायत की थी. पुलिस ने इसी आधार पर दंपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
न्यायालय ने कहा कि यातायात पुलिस ने फेसबुक पर जनता के लिये ही पेज बनाया था. न्यायालय ने कहा कि हमारी सुविचारित राय है कि इस दंपति ने यह सोच कर आन लाइन टिप्पणी की कि उनका यह कृत्य स्वीकृति सीमा के भीतर ही है. न्यायालय ने इसके साथ ही कर्नाटक उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया. उच्च न्यायालय ने इस दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी.