एशिया प्रशांत के लिए नई दूरदृष्टि पर भारत, अमेरिका राजी
नयी दिल्ली : अपने रणनीतिक सहयोग को बढावा देने को लेकर क्षेत्र में भारत और अमेरिका की साझा सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देने का फैसला कर दोनों देश एशिया-प्रशांत के लिए नई दूरदृष्टि के प्रति आज राजी हो गए. क्षेत्रीय आर्थिक समन्वय का समर्थन करने के लिए दोनों देशों ने उर्जा ट्रांसमिशन बढाने और मुक्त […]
नयी दिल्ली : अपने रणनीतिक सहयोग को बढावा देने को लेकर क्षेत्र में भारत और अमेरिका की साझा सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देने का फैसला कर दोनों देश एशिया-प्रशांत के लिए नई दूरदृष्टि के प्रति आज राजी हो गए. क्षेत्रीय आर्थिक समन्वय का समर्थन करने के लिए दोनों देशों ने उर्जा ट्रांसमिशन बढाने और मुक्त व्यापार एवं लोगों के बीच संपर्क बढाने सहित बुनियादी ढांचा संपर्क को बढावा देने का फैसला किया.
सहमति के मुताबिक दोनों देश आतंकवाद, समुद्री लूट और नरसंहार के हथियारों के क्षेत्र में तथा क्षेत्र से प्रसार का विरोध करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम एशिया प्रशांत के लिए एक नई दूरदृष्टि पर भी सहमत हुए हैं ताकि हम इस नाजुक क्षेत्र में अपनी साझा सुरक्षा और समृद्धि के लिए साथ मिलकर और बहुत कुछ कर सकें. ’’ व्हाइट हाउस ने बाद में एक बयान में कहा कि क्षेत्रीय आर्थिक समन्वय में सहयोग करने के लिए भारत और अमेरिका बुनियादी ढांचा संपर्क और आर्थिक विकास को इस तरीके से बढावा देगा कि यह दक्षिण, दक्षिणपूर्व और मध्य एशिया को जोड सके। साथ ही उर्जा के ट्रांसमिशन को बढा सके और मुक्त व्यापार को बढावा दे सके.
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय समृद्धि सुरक्षा पर निर्भर करती है. हम समुद्री सुरक्षा को अहमियत देने और खासतौर पर दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की पुष्टि करते हैं.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘हम सभी पक्षों से धमकी देने या बल प्रयोग करने से बचने तथा क्षेत्रीय और समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की अपील करते हैं, जो ‘यूनाइटेड नेशन कंवेंशन ऑन लॉ ऑफ द सी’ सहित सार्वभौम स्वीकार्य अंतराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरुप हों.’’