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भारत, अमेरिका ने पाक से 26/11 साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने को कहा

नयी दिल्ली : आतंकवाद को ‘‘प्रमुख’’ वैश्विक खतरा करार देते हुए भारत और अमेरिका ने लश्कर ए तैयबा , डी कंपनी और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों पर रोक लगाने के लिए ठोस एवं साझा प्रयास करने पर जोर दिया और साथ ही पाकिस्तान को 26 /11 आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे […]

नयी दिल्ली : आतंकवाद को ‘‘प्रमुख’’ वैश्विक खतरा करार देते हुए भारत और अमेरिका ने लश्कर ए तैयबा , डी कंपनी और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों पर रोक लगाने के लिए ठोस एवं साझा प्रयास करने पर जोर दिया और साथ ही पाकिस्तान को 26 /11 आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में खडा करने को कहा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आतंकवादी समूहों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए और उन्होंने देशों से कहा कि वे आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगारों का सफाया करने एवं उन्हें कानून के घेरे में लाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें.

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद से लडने के लिए व्यापक वैश्विक रणनीति एवं दृष्टिकोण की आवश्यकता है. वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया , ‘‘ नेताओं ने लश्कर ए तैयबा , जैश ए मोहम्मद , डी कंपनी और हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों पर रोक लगाने के लिए संयुक्त एवं साझा प्रयासों की जरुरत को फिर से दोहराया और लागू किए जा सकने वाले द्विपक्षीय सहयोग को विकसित करने के लिए वर्ष 2015 के उत्तरार्ध में अमेरिका भारत संयुक्त कार्यकारी समूह के अगले दौर के साथ ही होमलैंड सिक्योरिटी के जरिए जारी प्रयासों को चालू रखने पर सहमति जतायी.’’राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने पहचाने गए और संदिग्ध आतंकवादियों के बारे में सूचनाएं साझा करने संबंधी समझौते की दिशा में काम करने पर भी सहमति जतायी.

बयान में कहा गया है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के संबंध में सहयोग को गहरा करने पर विचार विमर्श शुरु करने पर सहमति जतायी और नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में खडा किए जाने का पाकिस्तान के नाम अपना आह्वान भी दोहराया. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने आईईडी के खतरे से निपटने और आतंकवाद के मुकाबले के लिए बेहतर उपायों पर साथ मिलकर काम करने की दृष्टि से भारतीय और अमेरिकी प्रशासनों के बीच सहयोगात्मक सकारात्मक संबंध को भी रेखांकित किया.

मोदी ने कहा, ‘‘ आतंकवाद एक मुख्य वैश्विक खतरा बना हुआ है. मौजूदा चुनौतियों के बने रहने के बीच यह नया आकार ले रहा है.’’ मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जतायी कि उन्हें इसके मुकाबले के लिए ‘‘समग्र वैश्विक रणनीति और दृष्टिकोण ’’ की जरुरत है. उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवादी समूहों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए. आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने और उन्हें न्याय के कठघरे में खडा करने के लिए प्रत्येक राष्ट्र को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए.’’मोदी ने कहा कि दोनों देश आतंकवादी समूहों के खिलाफ अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को गहरा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘ और हम अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं में आगे भी इजाफा करेंगे, जिसमें तकनीक का क्षेत्र भी शामिल है.’’ ओबामा ने ‘‘मजबूत आतंकवाद विरोधी सहयोग’’ के लिए मोदी का आभार जताया.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा, ‘‘ हम अफगान लोगों के मजबूत और विश्वसनीय सहयोगी बने रहेंगे जिन्हें पिछले कई सालों में भारत की उदारतापूर्ण सहायता से फायदा मिला है.’’ मोदी और ओबामा ने आतंकवादी खतरों का व्यापकता में सामना करने के लिए 21वीं सदी में सहयोग को गहरा करने में भारत अमेरिकी भागीदारी को एक निर्णायक आतंकवाद विरोधी रिश्ते में बदलने के प्रयास करने की भी प्रतिबद्धता जतायी.

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