अदम्य साहस के लिए दो जवानों को मरणोपरांत अशोक चक्र
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजपथ पर आज आतंकियों के खिलाफ अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए शहीद होने वाले दो सैनिकों को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया. यह सम्मान वीरों की पत्नियों ने ग्रहण किया. इस सम्मान का पाने वाले पहले शहीद का नाम नायक नीरज कुमार सिंह है. […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजपथ पर आज आतंकियों के खिलाफ अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए शहीद होने वाले दो सैनिकों को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया. यह सम्मान वीरों की पत्नियों ने ग्रहण किया.
इस सम्मान का पाने वाले पहले शहीद का नाम नायक नीरज कुमार सिंह है. राजपूताना राइफल्स के नायक नीरज सिंह राष्ट्रीय राइफल्स में जम्मू – कश्मीर में तैनात थे. 24 अगस्त 2014 को कुपवाड़ा में आतंकियों का सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये. इस दौरान उन्होंने साहस और बहादुरी का शानदार नमुना पेश किया. आतंकियों को मार गिराया और अंत तक उनसे लड़ते रहे. गोली लगने के बावजूद भी उन्होंने खुद को बचाने के बजाय देश की रक्षा को ज्यादा महत्व दिया और आतंकियों से लोहा लेते रहे.
दूसरा अशोक चक्र राजपूताना राइफल्स की तरफ से राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर मुकंद वरदराजन को दिया गया. मेजर वरदराजन ने भी 15 अगस्त 2014 को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में गजब का साहस और वीरता का परिचय दिया और हिज़बुल के तीन आतंकियों को मारकर वीरगति को प्राप्त हुए.
गौरतलब है कि अशोक चक्र शांति काल में दिया जाने वाला देश का सबसे बड़ा वीरता सम्मान है. इन दो अशोक चक्र के सम्मान के अलावा राष्ट्रपति की ओर से आज 374 सैनिकों को वीरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति की ओर से दो अशोक चक्र के अलावा, तीन कीर्ति चक्र, 12 शोर्य चक्र, 48 सेना मेडल, दो नौसेना मेडल, 11 वायुसेना मेडल, 28 परम विशिष्ट सेवा मेडल, तीन उत्तम युद्ध सेवा मेडल और 13 युद्ध सेवा मेडलों से सम्मानित किया गया है.