नहीं रहे मशहूर ”कार्टूनिस्‍ट” आर के लक्ष्‍मण, कार्टूनों में थी ”कॉमन मैन” की झलक

पुणे : आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूची से गढ़कर, अपने चित्रों से पिछली अर्द्ध शती से लोगों को आम आदमी के विचार व्यंग्य रूप में अपने कार्टूनों के जरिये बताते रहने वाले देश के मशहूर कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण का 94 साल की उम्र में आज पुणे में निधन हो गया. लक्ष्मण काफी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2015 7:44 PM

पुणे : आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूची से गढ़कर, अपने चित्रों से पिछली अर्द्ध शती से लोगों को आम आदमी के विचार व्यंग्य रूप में अपने कार्टूनों के जरिये बताते रहने वाले देश के मशहूर कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण का 94 साल की उम्र में आज पुणे में निधन हो गया. लक्ष्मण काफी समय से बीमार चल रहे थे. लक्ष्मण पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती थे और इसी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.

इनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था और 23 अक्टूबर 1921 को मैसूर में लक्ष्मण का जन्म हुआ था.आर. के. लक्ष्मण भारत के एक प्रमुख व्यंग्य-चित्रकार रहे हैं. आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूची से गढ़कर, अपने चित्रों से इसे वे तकरीबन पिछले पचास सालों से लोगों को बताते रहे थे. समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा के विषमताओं पर भी वे तीख़े ब्रश चलाते थे. लक्ष्मण सबसे ज़यादा अपने कॉमिक स्ट्रिप "द कॉमन मैन" जो उन्होंने द टाईम्स ऑफ़ इंडिया में लिखा था, के लिए प्रसिद्ध रहे हैं.
नहीं रहे मशहूर ''कार्टूनिस्‍ट'' आर के लक्ष्‍मण, कार्टूनों में थी ''कॉमन मैन'' की झलक 2
मैसूर में जन्मे लक्ष्मण के पिता एक स्कूल के संचालक थे और लक्ष्मण उनके छः पुत्रो में सबसे छोटे थे. उनके बड़े भाई आर. के. नारायण एक प्रसिद्ध उपन्यासकार रहे हैं और इस समय केरल के.एम.जे. विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर हैं.
बचपन से ही लक्ष्मण को चित्रकला में बहुत रूचि थी. बचपन में लक्ष्मण वे फर्श, दरवाज़ा, दीवार, आदि में चित्र बनाते थे. बचपन में ही एक बार उन्हें अपने अध्यापक से पीपल के पत्ते के चित्र बनाने के लिए शाबाशी मिली था, तबसे उनके अन्दर एक चित्रकार बनने की इच्छा ने जन्म लिया. वे ब्रिटन के मशहूर कार्टूनिस्ट सर डेविड लौ से बहुत प्रभावित थे. लक्ष्मण अपने स्थानीय क्रिकेट टीम "रफ एंड टफ एंड जॉली" के कप्तान भी रहे थे.
लक्ष्मण के बचपन में ही उनके पिता पक्षाघात के शिकार हो गए थे और उसके एक साल बाद उनका देहांत हो गया. बचपन का सुख छिन जाने के बावजूद लक्ष्मण ने अपनी स्कूली शिक्षा को जारी रखा.
हाई स्कूल के बाद, लक्ष्मण ने आर्ट, ड्राइंग और पेंटिंग की कला सीखने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद करते हुए मुंबई के जे.जे. स्कूल के लिए आवेदन किया, लेकिन कॉलेज के डीन ने उनको लिखा कि उनके चित्रों में वह बात नहीं, जिससे वह उन्हें अपने कॉलेज में दाखिला दे सके. नतीजतन, उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद भी लक्ष्मण ने हिम्मत नहीं हारी और मैसूर विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर बी.ए. उतीर्ण किया.
इसी दौरान उन्होंने अपनी स्वतंत्र कलात्मक गतिविधियों को भी जारी रखा और स्वराज्य पत्रिका एवं एक एनिमेटेड चित्र के लिए अपने कार्टूनों का योगदान दिया.
साल 2010 से अब तक लक्ष्मण को कई बार स्ट्रोक आ चुका था और लम्बे समय से बीमार लक्ष्मण को इसी महीने की 23 तारीख को पेशाब की नली में संक्रमण की वजह से अस्पताल में दाखिल किया गया था. इलाज के दौरान लक्ष्मण के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

Next Article

Exit mobile version