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लक्ष्मण ने कार्टूनों के जरिए ”कॉमन मैन” की बात को किया था व्यक्त

पुणे : अपने कार्टूनों में भारतीय नेताओं की विशिष्टताओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाले आर के लक्ष्मण ने लंबे समय तक आम आदमी की आवाज को व्यंग्यात्मक लहजे में व्यक्त किया और अपनी कृतियों से लाखों लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट ला दी. पांच दशक से अधिक समय तक उनके प्रशंसकों ने हर […]

पुणे : अपने कार्टूनों में भारतीय नेताओं की विशिष्टताओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाले आर के लक्ष्मण ने लंबे समय तक आम आदमी की आवाज को व्यंग्यात्मक लहजे में व्यक्त किया और अपनी कृतियों से लाखों लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट ला दी.

पांच दशक से अधिक समय तक उनके प्रशंसकों ने हर सुबह उनके बनाए कार्टूनों में आम आदमी ‘कॉमन मैन’ की प्रतीक्षा की. उनका किरदार आम आदमी अपनी धोती, जैकेट, गांधी..चश्मा आदि से सहज ही पहचाना जा सकता था. उनके कार्टूनों से कई बार नेताओं को झेप का सामना करना पडा. प्रख्यात कार्टूनिस्ट का आज पुणे में निधन हो गया. वह 94 साल के थे.

देश के प्रमुख व्यंग्य-चित्रकार रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण यानी आर. के. लक्ष्मण ने आम आदमी की पीडा को अपनी कूची से व्यक्त किया. इसके साथ ही उन्होंने समाज की विकृतियों, राजनीतिक विचारधारा की विषमताओं को भी व्यक्त किया. लक्ष्मण का जन्म मैसूर में 24 अक्तूबर 1921 को हुआ था और उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे. लक्ष्मण सात भाई बहन थे जिनमें उनके बडे भाई प्रसिद्ध उपन्यासकार आर. के. नारायण शामिल थे.
उन्हें बचपन से ही चित्रकला में रुचि थी. वह ब्रिटेन के मशहूर कार्टूनिस्ट सर डेविड लाउ से काफी प्रभावित हुए. वह पढना शुरु करने के पहले ही चित्र बनाने लगे थे. वह फर्श, दरवाजे, दीवारों आदि पर चित्र बनाते रहते थे. उनके एक अध्यापक ने पीपल के पत्ते पर उनका बनाया चित्र देखने के बाद उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनकी सराहना की.

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