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तेलंगाना में गतिविधियां बढा सकते हैं माओवादी

नयी दिल्ली : पृथक तेलंगाना राज्य के गठन से उत्पन्न स्थिति का फायदा नक्सली उठा सकते हैं और ऐसे में नये राज्य में माओवादियों की गतिविधियां तेज होने की आशंका है. पृथक तेलंगाना राज्य बनने की स्थिति में माओवादियों की गतिविधियां नये राज्य में बढ सकती हैं. ऐसी आशंका सुरक्षा एजेंसियों ने व्यक्त की है. […]

नयी दिल्ली : पृथक तेलंगाना राज्य के गठन से उत्पन्न स्थिति का फायदा नक्सली उठा सकते हैं और ऐसे में नये राज्य में माओवादियों की गतिविधियां तेज होने की आशंका है. पृथक तेलंगाना राज्य बनने की स्थिति में माओवादियों की गतिविधियां नये राज्य में बढ सकती हैं. ऐसी आशंका सुरक्षा एजेंसियों ने व्यक्त की है.

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भाकपा-माओवादी के अधिकांश प्रमुख नेता आंध्र प्रदेश से ही हैं और आंध्र प्रदेश में ये नेता आम तौर पर तेलंगाना क्षेत्र के करीमनगर, वारंगल और आदिलाबाद से हैं. सूत्रों के मुताबिक पृथक राज्य बनने की स्थिति में माओवादी वहां अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर सकते हैं और शुरुआती छह महीनों में उनकी ओर से हमले की भी आशंका है.

उन्होंने कहा कि पृथक राज्य बनने पर न सिर्फ पुलिस बल बल्कि आंध्र प्रदेश के नक्सल रोधी विशेष बल ग्रेहाउण्ड्स और खुफिया तंत्र का भी बंटवारा होगा. सूत्रों के अनुसार तेलंगाना तटीय आंध्र के मुकाबले पिछडा है. वहां अधिक संसाधन नहीं हैं, कोई खास उद्योग नहीं है. ऐसे में संसाधन कहां से जुटेंगे, यह कहना मुश्किल है. पिछडे इलाकों में नक्सली अकसर जनता को बर्गला कर अपनी पकड बनाने की कोशिश करते हैं.

सूत्रों ने आशंका व्यक्त की कि तेलंगाना के इलाके नक्सलियों के बर्चस्व वाले पडोसी राज्यों के इलाकों यानी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के बस्तर से सटे हैं, ऐसे में माओवादियों के तेलंगाना में अपना प्रभुत्व बनाने की कोशिशों से इंकार नहीं किया जा सकता.

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