एनपीए पर सरफेइसी कानून में संशोधन संवैधानिक दृष्टि से वैध : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को प्रतिभूतिकरण कानून के प्रावधानों में संशोधन को संवैधानिक दृष्टि से वैध ठहराया है. इसमें बैंकों को रिण लेने वालों के बैंक खातों को रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रुप में वगीकृत करने का अधिकार दिया गया है. शीर्ष अदालत ने यह फैसला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2015 4:04 AM
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को प्रतिभूतिकरण कानून के प्रावधानों में संशोधन को संवैधानिक दृष्टि से वैध ठहराया है. इसमें बैंकों को रिण लेने वालों के बैंक खातों को रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रुप में वगीकृत करने का अधिकार दिया गया है.
शीर्ष अदालत ने यह फैसला वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन कानून (सरफेइसी), 2002 की धारा 2(1)(ओ) के अंतर्गत एनपीए की संशोधित परिभाषा पर विचार के दौरान दिया.न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर तथा न्यायमूर्ति एस ए बाबडे ने याचिकाओं के समूह का निपटान करते हुए रिण लेने वालों को संबंधित बैंकों को नोटिस की तारीख तक बकाया राशि पर एक प्रतिशत लागत के रुप में देने का निर्देश दिया.
न्यायालय ने इस संबंध में अपने 52 पृष्ठों के फैसले में कहा है कि ‘गैर-निष्पादित राशि’ की अभिव्यक्ति को इस तरह परिभाषित करना जो कि विभिन्न श्रेणियों में विभिन्न श्रेणियों के वित्तीय संस्थानों अथवा बैंकों द्वारा दिये गये लाखों कर्ज लेनदेन के मामलों में वैध हो, ऐसा करना न केवल मुश्किल काम होगा बल्कि इससे समूची बैंकिंग प्रणाली शिथिल पड सकती है.’

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