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बराक ओबामा का भारत दौरा पक्का कराने वाले शख्स एस जयशंकर को नरेंद्र मोदी ने दिया विदेश सचिव का पद

नयी दिल्ली : एस जयशंकर यानी सुब्रमण्यम जयशंकर ने गुरुवार को देश के 30वें विदेश सचिव के रूप में अपना पदभार संभाल लिया है. पदभार संभालने के साथ ही उन्होंने सरकार के एजेंडा को ही अपना एजेंडा बताया. यानी उनके इस बयान से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2015 11:48 AM
नयी दिल्ली : एस जयशंकर यानी सुब्रमण्यम जयशंकर ने गुरुवार को देश के 30वें विदेश सचिव के रूप में अपना पदभार संभाल लिया है. पदभार संभालने के साथ ही उन्होंने सरकार के एजेंडा को ही अपना एजेंडा बताया. यानी उनके इस बयान से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की प्राथमिकता ही उनकी प्राथमिकता होगी और वे पूर्व की तरह अपनी पूरी क्षमता और कौशल से उन जिम्मेवारियों का निर्वाह करेंगे, जो उन्हें सरकार से मिलेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने जिस तरह उनकी नियुक्ति की वह बहुतों को अप्रत्याशित लग सकता है, लेकिन उसकी पृष्ठभूमि पहले ही तैयार हो गयी थी. यूं तो जयशंकर के खाते में कई अच्छे कार्यो का रिकॉर्ड है, लेकिन अमेरिकी राजदूत के रूप में उनकी ताजा तीन बड़ी उपलब्धियां हैं, जिसने प्रधानमंत्री का ध्यान उन्हें विदेश सचिव की अहम जिम्मेवारी देने की ओर खींचा. पहला, देवयानी खोबड़ागड़े प्रकरण के दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका के रिश्तों में आयी तल्खी को बड़ी कुशलता से खत्म किया और दुनिया के इन दो बड़े लोकतंत्र के रिश्तों को सामान्य बनाया.
उनकी कुशलता थी कि किसी एक राजनयिक के साथ हुए अच्छे-बुरे सलूक की छाया देश की कूटनीति पर नहीं पड़ सकी. दूसरा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के सितंबर में अमेरिका के दौरे पर गये तो उन्होंने उसका शानदार प्रबंधन किया. जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच द्विपक्षीय वार्ता करवाने व उसे सफल बनाने में अहम योगदान दिया. तीसरा, अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा सुनिश्चित करना. एक जयशंकर की कुशलता के कारण ओबामा पहले ऐसे राष्ट्रपति बने, जिन्होंने दूसरी बार भारत की यात्र की और भारत-अमेरिका के बेहद मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों की इससे बुनियाद पड़ी.
एस जशंकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की भी पसंद थे. डॉ सिंह ने उन्हें चीन में भारत का राजदूत बनाया था और उस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कायम तल्खी को कम करने में योगदान दिया था. दिल्ली-बिजिंग के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए उन्होंने काफी काम किया और चीन में सबसे लंबे समय तक भारत के राजदूत रहे. विदेश मंत्रलय में 2004-07 तक संयुक्त सचिव रहे एस जयशंकर भारत-अमेरिका परमाणु करार कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. एस जयशंकर के पिता के सुब्रमण्यम देश के सर्वाधिक पसंदीदा रक्षा रणनीतिकार थे. वे लंबे समय तक इंस्ट्टिय़ूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक एनालिसिस के निदेशक रहे थे. दिलचस्प की अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के कारण एस जयशंकर विदेश सचिव की जिम्मेवारी सौंपे जाने के दौरान दिल्ली में ही थे और रात में घोषणा हुई और उन्होंने सुबह पदभार संभाल लिया.

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