चेन्नई/नयी दिल्ली : जयंती नटराजन ने आज प्रेस काफ्रेंस करके कहा कि मैंने हर जिम्मेदारी वफादारी से निभाई है. मैने पार्टी के नियमों का पालन किया है. ये मेरे लिए दुख का पल है.जिस कांग्रेस से मैं जुडी थी यह वह कांग्रेस नहीं है. राहुल गांधी ने हमें बलि का बकरा बनाया.उन्होंने आज पार्टी से त्यागपत्र देने का एलान किया.उन्होंने आज पार्टी से त्यागपत्र देते हुए कहा कि झूठे माहौल में रहना अब मेरे लिए मुश्किल है. कांग्रेस में दम घोंटू माहौल है.उन्होंने कहा कि अभी वे किसी पार्टी में नहीं जा रही हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष को जयंती ने नवंबर 2014 में लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया कि राहुल गांधी का निर्देश या सलाह हमारे लिए आदेश की तरह होता था और हम उसका सम्मान करते थे. जयंती ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल गांधी का यूपीए – 2 की डॉ मनमोहन सिंह सरकार में बेहद बारीक स्तर तक हस्तक्षेप था, जबकि कांग्रेस के नेता लगातार यह कहते रहे हैं कि मनमोहन सरकार में राहुल गांधी का कोई हस्तक्षेप नहीं था.
इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि जयंती नटराजन कांग्रेस छोड़ेंगे. इस संबंध में मीडिया में यह भी खबरें आ रही हैं कि आज 12.30 बजे चेन्नई में वह प्रेस कान्फ्रेंस कर कांग्रेस छोड़ने की घोषणा करेंगी. अगर जयंती नटराजन कांग्रेस छोड़ती हैं, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन के बाद वे तमिलनाडु से कांग्रेस की दूसरी प्रमुख नेता पार्टी छोड़ने वाली होंगी. जयंती के भाजपा में शामिल होने की खबरें मीडिया में चल रही हैं. हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं है.
जयंती ने अपने पत्र में कहा है कि राहुल गांधी के दबाव में उनके द्वारा लिये जाने वाले फैसले पर उन्हें ही निशाना बनाया जाता था और उनके खिलाफ मीडिया में शातिर, झूठे और प्रायोजित खबरें प्लांट की जाती थीं. जयंती ने अपने पत्र में कहा है कि राहुल गांधी का दबाव ओड़िशा के नियमगिरि में वेदांता को अनुमति देने के संबंध में था. उन्होंने कहा कि उन्हें राहुल गांधी के कार्यालय से कहा गया कि वहां के आदिवासियों की अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित की जाये और वेदांता को पर्यावरणीय अनुमति नहीं दी जाये. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन पर अत्यधिक द्वेषपूर्ण दबाव था. उन्होंने यह कि कहा है कि अदानी के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के संबंध में भी उन पर दबाव था और गुजरात कांग्रेस के एक शख्स दीपक बावरिया के साथ एक एनजीओ से स्थानीय मत्स्य पालकों की मुद्दे पर संपर्क करने को कहा गया.
जयंती ने सोनिया को लिखे पत्र में यह भी याद कराया है कि खुद उनका कई प्रोजेक्ट को स्वीकृति देने में दबाव होता था और वे उस संबंध में अपनी चिंता उन्हें पत्र के माध्यम से बताती थीं. ऐसे प्रोजेक्ट में हिमाचल प्रदेश में धारी देवी मंदिर के निकट जीवीके पॉवर प्लांट को स्वीकृति देना, महाराष्ट्र में लवासा प्रोजेक्ट, गुजरात में निरमा सीमेंट प्रोजेक्ट सहित कई प्रोजेक्ट शामिल हैं.
जयंती ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राहुल गांधी के दबाव में उनके द्वारा लिये फैसले पर उन्हें कैबिनेट के अंदर और बाहर घेरा जाता था. उन्होंने पत्र में लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने उन्हें बुला कर कांग्रेस अध्यक्ष के उस फैसले से अवगत कराया था कि उन्हें अब संगठन में काम करना है और सरकार से इस्तीफा देना है. इसके बाद मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है.
गौरतलब है कि जयंती नटराजन पर 35 ऐसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी नहीं देने का आरोप है, जो हजार से पांच हजार करोड़ तक के हैं.जयंती नटराजन के आरोपों के बाद दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस की राह में और रोड़े उत्पन्न हो सकते हैं.