नयी दिल्ली : जयंती नटराजन के आरोपों को खारिज करते हुए आज कांग्रेस की ओर से प्रेस को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नटराजन के सारे आरोप बेबुनियाद है. जयंती दुनिया की पहली ऐसी व्यक्ति हैं, जिन्हें यह नहीं पता है कि उन्हें उनके पद से क्यों हटाया गया है. सिंघवी ने नटराजन पर अमीरों की नीति का समर्थक होने और अवसरवादी होने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि नटराजन को जबतक कांग्रेस से फायदा मिलता रहा वे कांग्रेस का गुणगान करती रही और अब कांग्रेस के विरोध में चिल्ला रही हैं. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने नटराजन को काफी कुछ दिया है. नटराजन बिना एक भी चुनाव जीते कई टर्म तक कांग्रेस सरकार में मंत्री रही हैं और विभिन्न विभागों को प्रतिनिधित्व किया है. सिंघवी ने कहा कि अपनी नीतियों और नीजि आकांक्षाओं के कारण आज जयंती को उनके पद से हटाया गया है. कांगेस पर उनके द्वारा लगाये गये सारे आरोप गलत हैं.
गौरतलब है कि जयंती नटराजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि कई अहम परियोजनाओं को उन्होंने राहुल गांधी और उनके कार्यालय के द्वारा दबाव दिये जाने के कारण मंजूरी नहीं दी, पर उसका ठिकरा उन पर फोड़ा गया. इतना ही नहीं जयंती ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि आपने (सोनिया गांधी) भी कई परियोजनाओं को मंजूरी दिये जाने के संबंध में अपनी चिंता जतायी और मुङो पत्र लिखा.
कांग्रेस अध्यक्ष को जयंती ने नवंबर 2014 में लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया कि राहुल गांधी का निर्देश या सलाह हमारे लिए आदेश की तरह होता था और हम उसका सम्मान करते थे. जयंती ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल गांधी का यूपीए – 2 की डॉ मनमोहन सिंह सरकार में बेहद बारीक स्तर तक हस्तक्षेप था, जबकि कांग्रेस के नेता लगातार यह कहते रहे हैं कि मनमोहन सरकार में राहुल गांधी का कोई हस्तक्षेप नहीं था.
जयंती ने सोनिया को लिखे पत्र में यह भी याद कराया है कि खुद उनका कई प्रोजेक्ट को स्वीकृति देने में दबाव होता था और वे उस संबंध में अपनी चिंता उन्हें पत्र के माध्यम से बताती थीं. ऐसे प्रोजेक्ट में हिमाचल प्रदेश में धारी देवी मंदिर के निकट जीवीके पॉवर प्लांट को स्वीकृति देना, महाराष्ट्र में लवासा प्रोजेक्ट, गुजरात में निरमा सीमेंट प्रोजेक्ट सहित कई प्रोजेक्ट शामिल हैं.
जयंती ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राहुल गांधी के दबाव में उनके द्वारा लिये फैसले पर उन्हें कैबिनेट के अंदर और बाहर घेरा जाता था. उन्होंने पत्र में लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने उन्हें बुला कर कांग्रेस अध्यक्ष के उस फैसले से अवगत कराया था कि उन्हें अब संगठन में काम करना है और सरकार से इस्तीफा देना है. इसके बाद मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है.