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नूपुर शर्मा की पहली चुनावी जंग कहा, नयी दिल्ली सीट फिर रचेगी इतिहास

नयी दिल्ली : नयी दिल्ली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में उतरने वाली नूपुर शर्मा के लिए भले ही यह पहली चुनावी जंग हो लेकिन लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स से स्नातकोत्तर डिग्रीधारी भाजपा उम्मीदवार को पूरा भरोसा है कि चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक होंगे और वह इस प्रतिष्ठित सीट पर आप प्रमुख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2015 3:40 PM

नयी दिल्ली : नयी दिल्ली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में उतरने वाली नूपुर शर्मा के लिए भले ही यह पहली चुनावी जंग हो लेकिन लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स से स्नातकोत्तर डिग्रीधारी भाजपा उम्मीदवार को पूरा भरोसा है कि चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक होंगे और वह इस प्रतिष्ठित सीट पर आप प्रमुख को मात देने में सफल होंगी.

केजरीवाल के साथ मुकाबले को ‘‘विचारधारा का संघर्ष’’ बताते हुए भाजपा उम्मीदवार कहती हैं कि जनता इस बार उनका साथ नहीं देगी क्योंकि उनमें ‘‘ठहराव’’ और ‘‘स्पष्टता’’ नहीं है कि वह क्या कर रहे हैं. उन्होंने इस संदर्भ में केजरीवाल के वाराणसी से लोकसभा चुनाव लडने के फैसले का जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘‘ केजरीवाल को पहले जीवन में थोडा स्थिरता लानी चाहिए और उसके बाद जनता के पास जाकर वोट मांगने चाहिए. कभी वह यहां हैं तो कभी वहां हैं. वह लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं.’’ शर्मा ने कहा, ‘‘ जनता उनके झूठ को समझ चुकी है और एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनना इस बार उनके लिए केवल सपना ही रहेगा.’’ इस सवाल पर कि क्या उनके रुप में भाजपा ने केजरीवाल के मुकाबले एक कमजोर उम्मीदवार को उतारकर हार मान ली है , नुपूर ने कहा, ‘‘ यह सीट मुख्यमंत्रियों को हराने और बडे बडों को परास्त करने के लिए जानी जाती है. केजरीवाल कौन थे? वे केवल मीडिया की उपज हैं.’’ केजरीवाल पर अपने विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कोष का ‘‘इस्तेमाल नहीं करने ’’ का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ वह बहुत सी बडी बडी बातें करते हैं लेकिन मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि उन्होंने यहां के लोगों के लिए क्या किया है.’’
नूपुर शर्मा ने कहा, ‘‘वाराणसी में चुनाव हारने के बाद वह कम से कम पांच महीने तक इस इलाके के विधायक रहे लेकिन उन्होंने विधायक कोष से क्या किया? इस इलाके में पार्षद नहीं है क्योंकि यह क्षेत्र एनडीएमसी शासित है इसलिए ऐसे में एक विधायक की जिम्मेदारियां बहुत होती हैं लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.’’
वर्ष 2008 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष रही शर्मा ने राजनीति में आने के लिए निजी विधि कंपनी की अपनी नौकरी छोड दी. वह कहती हैं, ‘‘ यहां लडाई विचारधारा की है, सिद्धांतों की लडाई है और सच तथा झूठ के बीच की लडाई है. भाजपा मूर्ख नहीं है कि वह सीट गंवाने के लिए मुझे यहां से खड़ा करेगी.’’ कांग्रेस ने इस सीट से दिल्ली की पूर्व मंत्री किरण वालिया को मैदान में उतारा है.

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