राजद्रोह का कानून होगा खत्म, सात साल से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान… IPC में होंगे ये 11 बड़े बदलाव
लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि पुराने जमाने के अंग्रेजों के बनाए गए कानून गुलामी की निशानी थे. वहीं, अमित शाह ने यह भी कहा कि अब न्याय प्रणाली में आधुनिक से आधुनिक तकनीक को शामिल करने का फैसला किया गया है. इसी कड़ी में शाह ने कानूनों में सुधार करते हुए लोकसबा में तीन विधेयक पेश किए.
संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पुराने कानूनों में सुधार करते हुए तीन विधेयक पेश किए. उन्होंने कहा कि अब ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (IPC, आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC, सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह नये कानून पेश किये. शाह ने कहा अब देश में राजद्रोह का कानून पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. अमित शाह ने कहा कि हम इन कानूनों को खत्म कर देंगे, जो अंग्रेजों ने भारत के लिए बनाए थे. लोकसभा में शाह ने कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे.
वही, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके. शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने राजद्रोह पर कानून बनाया था लेकिन हम राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है.
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शाह ने कहा कि भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता. शाह ने कहा, आज हमने तय किया है कि सत्र अदालत जिसे भगोड़ा घोषित करेगी, उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी.
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अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक का प्रावधान होगा. उन्होंने कहा कि नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है.
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अमित शाह ने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी और पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया जा रहा है. साथ ही इसके खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.
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एफआईआर से लेकर जजमेंट तक की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए इसे ऑनलाइन किया जा रहा है.
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गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार जीरो प्राथमिकी की प्रणाली ला रही है जिसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी कहीं भी दर्ज की जा सकती है. यानी हिमालय की चोटी से कन्याकुमारी के सागर तक कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है. शाह ने कहा कि मामला दर्ज होने के बाद संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी.
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अमित शाह ने कहा नयी व्यवस्था के तहत गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की ओर से आरोपी के परिजनों को तत्काल इसकी सूचना दी जाएगी. अब प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को इस बात की जानकारी देगी कि उनके परिजन को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
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अमित शाह ने कहा कि अब यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी.
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शाह ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और सुनवाई में देरी रोकने के लिए तीन साल से कम कारावास वाले मामलों में त्वरित सुनवाई की प्रणाली शुरू की जाएगी, जिससे सत्र अदालतों में 40 फीसदी तक मामले कम हो जाएंगे.
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शाह ने कहा किअदालतें अब फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा और इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन अपलोड करना होगा.
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शाह ने कहा कि पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी. इसके साथ ही अब पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है.
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शाह ने कहा कि सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी. उन्होंने कहा कि इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी.
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नये कानूनों के तहत रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके महिलाओं से यौन संबंध बनाने, सरकारी नौकरी का झांसा देने को अपराध की श्रेणी में ला रही है.
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शाह ने कहा कि 2027 तक देश की सभी अदालतों को कम्प्यूटराइज्ड किया जाएगा, प्राथमिकी से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा, अदालतों की समस्त कार्यवाही प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगी और आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी.
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शाह ने कहा कि नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा. यदि कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इसे हां माना जाएगा.
लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने काफी सोच विचार और मंथन के बाद यह तीन नये विधेयक लेकर आई है. इससे नागरिक सुरक्षा बढ़ेगी और देश में कानून का राज कायम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि आईपीसी में मनुष्य की हत्या से संबंधित अपराध धारा 302 के तहत दर्ज था, जबकि शासन के अधिकारी पर हमला, खजाने की लूट जैसे अपराधों को पहले दर्ज किया गया था. वहीं शाह ने कहा कि नये कानून में सबसे पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित होगा और दूसरे अध्याय में मनुष्य हत्या के अपराध से जुड़े प्रावधान होंगे. वहीं, विधेयकों को पेश किये जाने के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
विधेयक आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे- अमित शाह
लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वो सदन को आश्वस्त करते हैं कि यह विधेयक हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने में कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य दंड देना नहीं, बल्कि न्याय प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि देश में अपराध की रोकथाम के लिए दंड दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पुराने जमाने के अंग्रेजों के बनाए गए कानून गुलामी की निशानी थे. वहीं, अमित शाह ने यह भी कहा कि अब न्याय प्रणाली में आधुनिक से आधुनिक तकनीक को शामिल करने का फैसला किया गया है. ऐसे में अब ईमेल, एसएमएस, लैपटॉप, कम्प्यूटर समेत अनेक प्रौद्योगिकियों को साक्ष्य बनाने की वैधता मिलेगी.
IPC, CrPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले बिल पर वरिष्ठ वकील केके मनन ने कहा है कि जब भी कोई विधान मंडल कोई नया कानून बनाती है या किसी कानून में संशोधन करती है तो वह समाज के कल्याण के लिए किया जाता है. समाज की वर्तमान स्थिति के अनुसार नए संशोधन किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस फैसले का स्वागत करता हूं.
#WATCH जब भी कोई विधान मंडल कोई नया कानून बनाती है या किसी कानून में संशोधन करती है तो वह समाज के कल्याण के लिए किया जाता है। समाज की वर्तमान स्थिति के अनुसार नए संशोधन किए जाते हैं। मैं सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस फैसले का स्वागत करता हूं: IPC, CrPC और भारतीय… pic.twitter.com/jDXj06e50I
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 11, 2023
आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले विधेयकों पर वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की बात की गई है. साक्ष्य अधिनियम एक बड़ा काम है. ये तीनों मिलकर 90 फीसदी आपराधिक आधार बनाते हैं. न्याय प्रणाली, जिसके बारे में हम कहते रहे हैं कि इसमें सुधार की आवश्यकता है. यह भी महत्वपूर्ण है कि इस भीड़, लिंचिंग और ऐसे अन्य कृत्यों पर ध्यान दिया जाएगा, भले ही सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में इस पर फैसला सुनाया है. मुझे खुशी है कि कानून है इसके बारे में आ रहा है.
भाषा इनपुट से साभार
#WATCH | On bills replacing IPC, CrPC and Indian Evidence Act, Senior Advocate Geeta Luthra says, "There has been this talk of revamping the criminal justice system. Evidence Act is a gargantuan task…all three together form the 90% base of the criminal justice system which we… pic.twitter.com/eIak0vCaRG
— ANI (@ANI) August 11, 2023