84 के सिख विरोधी दंगों की नये सिरे से हो सकती है जांच
नयी दिल्ली : दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के 30 साल बाद संबंधित मामलों की नए सिरे से जांच किए जाने की संभावना है. सरकार द्वारा इस संबंध में नियुक्त की गयी एक समिति ने दंगों की फिर से जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश की है. कांग्रेस ने […]
नयी दिल्ली : दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के 30 साल बाद संबंधित मामलों की नए सिरे से जांच किए जाने की संभावना है. सरकार द्वारा इस संबंध में नियुक्त की गयी एक समिति ने दंगों की फिर से जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश की है.
कांग्रेस ने सरकार के इस कदम को विधानसभा चुनाव से पूर्व मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करार दिया है. उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति जी पी माथुर की अध्यक्षता में गठित समिति ने पिछले सप्ताह गृह मंत्री राजनाथ सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी है और 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भडके सिख विरोधी दंगों की एसआईटी से नए सिरे से जांच कराए जाने की सिफारिश की है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
सरकार ने न्यायमूर्ति माथुर समिति को 23 दिसंबर 2014 को नियुक्त किया था जिसका काम एसआईटी से सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच की संभावनाओं का पता लगाना था. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इस संबंध में एक आदेश सात फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आने की संभावना है. इन दंगों में 3325 लोगों में से अकेले दिल्ली में 2733 लोग मारे गए थे जबकि बाकी लोग उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा अन्य राज्यों में मारे गए थे.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस संबंध में कहा, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विधानसभा चुनाव से पूर्व मतदाताओं को लुभाने की नौटंकी है. ह्णअकाली दल नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख मंजीत सिंह जी के ने इसका स्वागत किया और कहा कि जल्द से जल्द एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए. गृह मंत्री के पास एक प्रतिनिधिमंडल लेकर जाने वाले मंजीत सिंह ने कहा कि राजनाथ सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया था कि न्याय किया जाएगा.
उन्होंने कहा, अकाली दल लंबे समय से 1984 के दंगों में न्याय की मांग करता रहा है और अब हम प्रधानमंत्री के शुक्रगुजार हैं कि जिन्होंने इस कमेटी को बनाया मैं समझता हूं कि अब सरकार को समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और एसआईटी का गठन करना चाहिए ताकि न्याय हो सके क्योंकि इसमें 30 साल की देरी हो चुकी है. भाजपा ने पूर्व में सभी सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच किए जाने की मांग की थी.
न्यायमूर्ति नानावटी आयोग ने पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में से केवल चार को ही फिर से खोलने की सिफारिश की थी लेकिन भाजपा अन्य सभी 237 मामलों की फिर से जांच करवाना चाहती थी. तत्काल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि न्यायमूर्ति माथुर समिति ने कितने सिख विरोधी दंगा मामलों को फिर से खोले जाने की सिफारिश की है. 241 संबंधित मामलों में से केवल चार को फिर से खोला गया और सीबीआई ने फिर से जांच की. दो मामलों में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया और एक मामले में एक पूर्व विधायक समेत पांच लोगों को दोषी ठहराया गया.
10 दिसंबर 2014 को सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीडितों के परिजनों को पांच लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी. दंगा पीडितों के परिजनों को यह मुआवजा उस राशि के अतिरिक्त होगा जो वे सरकार और अन्य एजेंसियों से पहले हासिल कर चुके हैं. नये मुआवजे से सरकारी खजाने पर 166 करोड़ रुपये का बोझ पडेगा.