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पीके यानी पॉलिटिकली करेक्ट : स्क्रिप्ट बदली, हीरो बदला पर दिल्ली अभी दूर है शाह जी!
पंकज मुकाती दिल्ली पर इतने सर्वे आ रहे हैं, एक सीधे के कनेक्शन से! यानी किस्मत कनेक्शन वाला यानी किरण, केजरीवाल के के वाला सर्वे! दिल्ली में पिछले एक साल में आप की ताकत रफ्तार से बढ़ी और गति से गिरी भी! बीजेपी ने देश की सरकार बना ली, पर दिल्ली अभी दूर ही दिख […]
पंकज मुकाती
दिल्ली पर इतने सर्वे आ रहे हैं, एक सीधे के कनेक्शन से! यानी किस्मत कनेक्शन वाला यानी किरण, केजरीवाल के के वाला सर्वे! दिल्ली में पिछले एक साल में आप की ताकत रफ्तार से बढ़ी और गति से गिरी भी! बीजेपी ने देश की सरकार बना ली, पर दिल्ली अभी दूर ही दिख रही है. तमाम सर्वे चिंता बढ़ा रहे हैं. झारखंड चुनाव में हेमंत सोरेन ने जिस ढंग से बीजेपी की रफ्तार को रोका है, उसके बाद शाह एंड कंपनी की शहंशाही फिल्म पिटती दिखी. चूंकि स्टार कास्ट बड़ी थी, इसलिए सरकार बनाने लायक सीटें मिल गयी. यानी सिर्फ लागत वसूली, मुनाफा नही. हेमंत की कम बजट लो स्टार कास्ट के बावजूद मुनाफे में रही. बीजेपी की इतनी सूनामी में भी हेमंत सीटें बढ़ा ले गए. शाह वहीं समझ गए की जीत का रंग बदल रहा है.
तस्वीरें धुंधली पड़ रही है और नयी सजावट नया सेट लाना होगा. वे समझ गए हैं कि राजनीति के ही मैन, 56 इंच वाले फौलादी छाती का असर भी कम पड़ा है. दिल्ली की कुश्ती पुराने झूठ-सच से नहीं चलेगी. शाह ने पर्दा बदला, हीरो भी बदला, सिंघम का सेट उतारा और क्वीन, डॉली की डोली के खेल में उतरे. महिला प्रधान मर्दानी (किरण बेदी) रची, क्योंकि मुकाबला आम आदमी के हीरो अमोल पालेकर जैसी शख्सियत (केजरीवाल )से था.
और, गोलमाल के हीरो को कभी भी कोई सिंघम या दबंग चुनौती नहीं दे पाया. पर मर्दानी पर भी ज्यादा भरोसा अभी नहीं है, इसलिए उनके संवाद पर शाह ने अपना सेंसर लगा दिया है. दूसरी बात कांग्रेस को पूरी तरह खत्म मान लिया गया है. पर ऐसा है नहीं. पिछली बार जब दिल्ली चुनाव हुआ था, तब मनमोहन सत्ता में थे, केंद्र की नाकामी की हवा और अन्ना की आंधी ने कांग्रेस को साफ कर दिया था. पर अब ना हवा है ना आंधी और केंद्र में बीजेपी है तो केजरीवाल पर सत्ता छोड़ने का ताज़ा मामला है. यानी सीधी एंटी इंकम्बैंसी यानी सत्ता विरोधी वोट इन दोनों को ही ङोलना है. कांग्रेस सरकार तो नहीं बनाएगी पर वोट बढ़ा सकती है. शाह भी ये जानते हैं, यदि कांग्रेस दस सीट ले आयी तो सबके गणित बिगड़ जायेंगे. इस आधार पर अनुमान कुछ यूँ है.
बीजेपी – 33
आप – 25
कांग्रेस -9
अन्य -3
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