धर्मनिरपेक्षता से आशय है राष्ट्र का अपना खुद का कोई धर्म नहीं होगा :अंसारी

मुंबई: उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि धर्मनिरपेक्षता से आशय है कि राष्ट्र का खुद का अपना कोई धर्म नहीं होगा. उनका यह बयान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञापन को लेकर राजनैतिक दलों के बीच चल रहे विवाद के परिप्रेक्ष्य में आया है. उस विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना की एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2015 3:30 AM

मुंबई: उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि धर्मनिरपेक्षता से आशय है कि राष्ट्र का खुद का अपना कोई धर्म नहीं होगा.

उनका यह बयान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञापन को लेकर राजनैतिक दलों के बीच चल रहे विवाद के परिप्रेक्ष्य में आया है. उस विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना की एक तस्वीर प्रकाशित की गई है जिसमें ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. गौरतलब है कि 42 वें संविधान संशोधन के जरिए प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द को जोडा गया था.
अंसारी ने दक्षिण मुंबई में विल्सन कॉलेज में छात्रों से संवाद के दौरान कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्ष शब्द से हम क्या समझते हैं. जमीनी हकीकत है कि हम एक ऐसा समाज हैं जिसमें विभिन्न मतों को मानने वाले लोग साथ-साथ रहते हैंचुनौती सबको समाहित करने की है.राज्य के मामले में धर्मनिरपेक्षता से आशय है कि राष्ट्र का खुद का कोई धर्म नहीं होगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र को धर्म के आधार पर नागरिकों के बीच भेद नहीं करना चाहिए.जब विकास कार्यक्रमों, छात्रवृत्ति के जरिए व्यवस्था की बात आती है तो राष्ट्र को धर्म, लिंग या मजहब के आधार पर नहीं बल्कि वस्तुनिष्ठ मानदंड के आधार पर निर्णय करना चाहिए.’’ अंसारी ने कहा कि लिंग के आधार पर भेदभाव एक ऐसी बीमारी है जिससे समाज पीडित है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का सामाजिक तौर पर समाधान किए जाने की जरुरत है.

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