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एक फोन कॉल के कारण हो गयी गृह सचिव पद से अनिल गोस्वामी की छुट्टी, एलसी गोयल बने नये गृह सचिव

नयी दिल्ली/कोलकाता :केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने बुधवार की देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सरकार ने सारधा घोटाले के आरोपी व पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की गिरफ्तारी कथित रूप से रुकवाने के उनके प्रयास को लेकर उत्पन्न विवाद के मद्देनजर उन्हें त्यागपत्र देने के लिए कहा था. वहीं 1979 बैच […]

नयी दिल्ली/कोलकाता :केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने बुधवार की देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सरकार ने सारधा घोटाले के आरोपी व पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की गिरफ्तारी कथित रूप से रुकवाने के उनके प्रयास को लेकर उत्पन्न विवाद के मद्देनजर उन्हें त्यागपत्र देने के लिए कहा था. वहीं 1979 बैच के केरल काडर के आइएएस अधिकारी एलसी गोयल नये केंद्रीय गृह सचिव का पदभार ग्रहण कर लिया है. पदभार संभालने के बाद उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की.

इससे पहले सरकार ने बताया था कि गोस्वामी को हटाया गया है, लेकिन बाद में कहा गया कि उन्हें इस्तीफा देने की इजाजत दी गयी. यूपीए सरकार की ओर से नियुक्त किये गये गोस्वामी की विदाई से पहले दिन भर मीडिया में आयी इस खबर को लेकर गहमा गहमी रही.

गृह मंत्री ने किया तलब

इससे पहले दिन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अनिल गोस्वामी को तलब किया था और उनसे जानना चाहा कि आखिर उन्होंने सीबीआइ की उस टीम को फोन क्यों किया जो सारधा मामले की जांच कर रही है. इस दौरान गोस्वामी ने कथित रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने सारधा घोटाले के संबंध में हाल ही में गिरफ्तार किये गये मतंग सिंह की ओर से सीबीआइ को फोन किया था.

क्या है मामला

पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री मतंग सिंह को सारधा मामले में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद सीबीआइ ने कहा था कि एक वरिष्ठ नौकरशाह ने गिरफ्तारी रोकने का प्रयास किया था. आरोप हैं कि जम्मू-कश्मीर से 1977 बैच के आइएएस अधिकारी गोस्वामी ने सीबीआइ के कामकाज में हस्तक्षेप किया और गिरफ्तारी रोकने के प्रयास किये.

रियल टय़ूलिप इंडिया के ठिकानों पर सीबीआइ के छापे

कोलकाता. सारधा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने राज्य की दूसरी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. बुधवार को जांच एजेंसी ने रियल टय़ूलिप इंडिया लिमिटेड के दफ्तरों व कुछ निदेशकों के फ्लैट पर छापे मारे. छापेमारी में बैंकों के कागजात समेत कई दस्तावेज जब्त किये गये. सूत्रों का कहना है कि सेबी व आरबीआइ के नियमों की अनदेखी कर कंपनी ने बाजार से करोड़ों रुपये जुटाये. सीबीआइ की कार्रवाई की भनक लगते ही कंपनी के अधिकारी दफ्तर बंद कर भूमिगत हो गये.

सॉल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स व निजाम पैलेस स्थित सीबीआइ दफ्तर से कुल 14 टीमें सुबह आठ बजे के करीब कोलकाता व राज्य के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी के लिए निकली. उत्तर 24 परगना के बैरकपुर, सोदपुर, इच्छापुर, कोलकाता के टॉलीगंज, यादवपुर, बाइपास व साल्टलेक के कुछ जगहों पर तलाशी अभियान चलाया गया. सूत्रों के मुताबिक, टॉलीगंज के रानीकुठी में सीए चिन्मय घटक, इच्छापुर में कंपनी के निदेशक प्रसेनजीत सील व तीर्थ हल्दर, बैरकपुर में निदेशक मलय गुहा के घर व दफ्तर पर छापे मारे गये. इनसे पूछताछ भी की गयी. कंपनी का प्रमुख मालिक फरार होने में कामयाब हो गया. जांच में सुबूत हाथ लगने पर दो महीने पहले कंपनी के खिलाफ एफआइआर दायर किया गया था. कंपनी के मुख्य मालिक से पूछताछ के लिए उसकी तलाश जारी है. उसका पता नहीं चल सका है, उसके घरवालों से पूछताछ की गयी है.

कई बैंकों के कागजात व कंपनी के दस्तावेज हुए जब्त

सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि छापेमारी में कई दफ्तर व फ्लैट से कंपनी के नाम पर बैंक के कागजात व कुछ दस्तावेज जब्त किये गये हैं. इसकी जांच की जायेगी, जिसके बाद अगली कार्रवाई होगी. बाइपास स्थित एक दफ्तर से कुछ कंप्यूटर के हार्ड डिस्क भी जब्त किये गये हैं. सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि बैंक जाकर जब्त अकाउंट में आर्थिक लेनदेन की जानकारी भी हासिल कर कार्रवाई पर निर्णय होगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य में सारधा मामले के साथ ही सीबीआइ ने एमपीएस व रोजवैली जैसी बड़ी कंपनिओं के खिलाफ कार्रवाई की है. रियल टय़ूलिप इंडिया लिमिटेड भी कार्रवाई की चपेट में आयी है.

कहां-कहां हुई छापेमारी

बैरकपुर, इच्छापुर, टॉलीगंज, यादवपुर व सॉल्टलेक, बाइपास समेत कई ठिकानों पर मारे गये छापे

सृंजय बोस जमानत पर रिहा
कोलकाता. सारधा चिटफंड घोटाला मामले में बुधवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद सृंजय बोस को सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया. एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड पर अलीपुर कोर्ट ने जमानत याचिका मंजूर की. रिहाई के बाद बुधवार रात उन्हें एसएसकेएम अस्पताल से छुट्टी मिल गयी.

बाद में वह बेल व्यू नर्सिग होम में भरती हो गये. गौरतलब है कि सृंजय बोस को 21 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी के बाद से वह अस्वस्थ चल रहे हैं.राज्यसभा सदस्य बोस एसएसकेएम अस्पताल में भरती थे. उनके खिलाफ धारा 420 के तहत मुकदमा चल रहा है. इस धारा के तहत आरोपी को अधिकतम 60 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है, लेकिन सृंजय बोस 75 दिनों से हिरासत में हैं. सीबीआइ ने उनके खिलाफ चाजर्शीट नहीं दी है. सृंजय बोस पहले प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जिनकी सारधा रियल्टी मामले में जमानत याचिका स्वीकार की गयी है. बुधवार को उनके वकील ने इस संबंध में अदालत का ध्यान आकर्षित किया. न्यायाधीश समरेश प्रसाद चौधरी ने उनकी याचिका मंजूर कर ली, लेकिन यह याचिका सशर्त मंजूर की गयी है. जमानत पर रिहा होने के बाद सृंजय बोस देश के बाहर नहीं जा पायेंगे.प्रत्येक दिन उन्हें स्थानीय थाने में हाजिरी देनी होगी. पासपोर्ट व अन्य परिचय पत्र जमा रखा जायेगा. दूसरी ओर, सीबीआइ जमानत याचिका के खिलाफ हाइकोर्ट में मामला दायर करने पर विचार कर रही है. शुक्रवार को सीबीआइ जिला अदालत में जमानत याचिका की शर्त की पुनर्विवेचना की अपील करेगी.

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