नीतीश कटारा हत्याकांड :विकास-विशाल सहित तीन लोगों को सजा

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने इस मामले में दोषी पाये गये विकास यादव व उसके भाई विशाल यादव को 25 साल की कैद की सजा सुनायी.नीतीश कटारा को 25 साल की कैद की सजा के दौरान किसी प्रकार की छूट नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2015 3:30 PM
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने इस मामले में दोषी पाये गये विकास यादव व उसके भाई विशाल यादव को 25 साल की कैद की सजा सुनायी.नीतीश कटारा को 25 साल की कैद की सजा के दौरान किसी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी. इस मामले में तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को अदालत ने 20 साल तक बिना छूट के आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. इसके अलावा अदालत ने इस मामले में सबूतों को नष्ट करने के दोषी तीन लोगों को पांच साल की सजा सुनायी है.
अदालत ने यह फैसला उस याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया जिसमें नीतीश कटारा हत्याकांड में उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव के पुत्र विकास यादव और दो अन्य की सजा को चुनौती दी गयी है. उच्च न्यायालय इस मामले में विकास और दो अन्य की दोषसिद्धि को पहले ही बरकरार रख चुका है. नीतीश कटारा की मां ने अदालत से दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी. उन्होंने अपील की थी कि अगर दोषियों को मौत की सजा नहीं दी जाती है, तो कम से कम अधिकतम वर्षो के कारावास की सजा दी जाये.
विकास, उसके चचेरे भाई विशाल और सुखदेव पहलवान कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. कटारा की 16 और 17 फरवरी 2002 की दरम्यान रात को हत्या कर दी गयी थी, क्योंकि विकास को पीड़ित का अपनी बहन भारती के साथ प्रेम संबंध गंवारा नहीं था. भारती सपा के पूर्व सांसद डीपी यादव की बेटी हैं.
न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति जेआर मिड्ढा की पीठ ने 13 साल पुराने मामले में सजा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने पिछले साल आठ दिसंबर को दोषियों की सजा पर सुनवाई पूरी कर ली थी. अदालत तीनों दोषियों को अप्रैल 2014 से सुनायी गयी सजा पर दलीलें सुन रही है. दोषियों ने सजा में नरमी बरतने के साथ-साथ मौत की सजा से छूट की मांग की है. उन्होंने कहा कि वे सुधर सकते हैं और उनका कृत्य इतना बर्बर या जघन्य नहीं था कि वे मौत की सजा के हकदार हैं.
दूसरी तरफ पीड़ित की मां नीलम कटारा और दिल्ली पुलिस ने उनके अपराध को दुर्लभ श्रेणी का बताते हुए तीनों को मौत की सजा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर दोषियों को मौत की सजा नहीं दी जाती है तो उन्हें बढे हुए आजीवन कारावास की सजा दी जाए. उच्च न्यायालय ने दो अप्रैल 2014 को निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें इस अपराध को झूठी शान की खातिर हत्या बताया गया था.

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