भोपाल : लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल और कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ पर अपनी नजर डाली है, और मध्यप्रदेश भाजपा के मुखपत्र ‘चरैवेति’ में उन्हें ‘हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना के प्रखर कवि’ के बतौर जगह दी गई है.
‘चरैवेति’ के संपादक जयराम शुक्ल से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होने कहा, ‘महाकवि निराला छायावादी दौर के सबसे ओजस्वी एवं तेजस्वी कवि थे, जिन्होने अपनी रचनाओं में हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना का निडरता और प्रखरता के साथ उद्घोष किया.’
यह पूछने पर कि निराला को तो राष्ट्रवादी चेतना का कवि कहा जाता रहा है, तो वह हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना के कवि कैसे हो सकते हैं, उन्होने कहा, ‘औरंगजेब के सेवादार राजा जयसिंह को महाराज शिवाजी द्वारा लिखी चिट्ठी को जिस तरह महाकवि निराला ने गीत रूप में ‘महाराज शिवाजी का पत्र’ लिखा और ‘राम की शक्ति पूजा’ जैसी उनकी रचना उन्हें हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना के प्रखर कवि के बतौर स्थापित करती है.’
उन्होंने कहा कि निराला की ‘महाराज शिवाजी का पत्र’ आज भी पाठकों को झंकृत करती है. इस लंबे पत्र गीत में उन्होने (निराला) राजा जयसिंह को महाराज शिवाजी द्वारा लिखे गए पत्र के मर्म को प्रस्तुत किया है. जयसिंह जब दक्षिण के सैन्य अभियान पर निकला तो शिवाजी ने हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना को आधार बनाते हुए उसे पत्र लिखा था.
निराला का यह पत्र गीत आज भी कई मायनों में प्रासंगिक है. ‘चरैवेति’ संपादक ने कहा कि ‘चरैवेति’ ने ‘पुनर्पाठ’ के नाम से एक स्थाई स्तंभ शुरू किया है, जिसमें निराला के समकालीन कवियों सहित ऐसे कवियों और साहित्यकारों को प्रकाशित करना शुरू किया है, जिन्होने वैदिक संस्कृति एवं राष्ट्रवाद को अपने रचनाकर्म का विषय बनाया है.
इनमें जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त जैसे महान साहित्यकार शामिल हैं. शुक्ल ने कहा कि यह सोचना गलत है कि केवल हम (भाजपा) ही महाकवि निराला को हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना के कवि के बतौर देखते हैं, उनकी रचानाएं पढिए फिर तय कीजिए कि उन्होने हिन्दू राष्ट्रवादी चेतना की हुंकार भरी थी कि नहीं. निराला अपनी ‘जागो फिर एक बार’ नामक कविता में लिखते हैं,
‘योग्यजन जीता है, ये पश्चिम की उक्ति नहीं. गीता है.गीता है, स्मरण करो बार-बार.’ गौरतलब है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरदार सरोवर के बीच एक विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने तथा उनके आचार-विचारों की प्रशंसा करने पर कांग्रेस ने उनकी आलोचना की थी.
वहीं दूसरी ओर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के एकत्रीकरण कार्यक्रम में कहा था, ‘कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी किताब ‘स्वदेशी समाज’ में अंग्रेजों की आलोचना करते हुए लिखा था कि आपस में लडकर हिन्दू-मुस्लिम खत्म नहीं होंगे बल्कि इस संघर्ष से वे साथ रहने का रास्ता ढूंढ लेंगे और वह रास्ता ‘हिन्दू राष्ट्र’ होगा.’