नयी दिल्ली : बीजिंग : चीन ने लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन नहीं करने के अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा है कि उसने उकसाने वाला कोई कदम नहीं उठाया.
इसके साथ ही उसने कहा कि इस घटना से द्विपक्षीय रिश्तों पर कोई असर नहीं होगा और सीमा पर शांति बाधित नहीं होगी क्योंकि दोनों देश मित्रवत ढंग से इस मुद्दे का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, मैं आपके इस आरोप से सहमत नहीं हूं कि चीनी पक्ष ने सीमा पर उकसाने वाली हरकत की है. उन्होंने कहा, चीन के सैनिकों ने कभी भी एलएसी का उल्लंघन नहीं किया. चीन और भारत पड़ोसी हैं तथा सीमा का निर्धारण होना अभी बाकी है.
हुआ ने कहा, सीमावर्ती इलाकों में समस्याओं को दूर करना अपरिहार्य है. जब समस्या है तो इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था और माध्यमों के तहत सद्भावपूर्ण ढंग से बातचीत के जरिये होना चाहिए. उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि इस मामले को संभाला जा सकता है और इसका सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता तथा चीन एवं भारत के बीच संबंधों के सामान्य विकास पर कोई असर नहीं होगा. हुआ ने मीडिया से संयंम बरतने का आग्रह करते हुए कहा, हमारा यह भी मानना है कि दोनों पक्षों को मित्रवत ढंग से इस मुद्दे का समाधान तलाशना जारी रखना चाहिए और इस मुद्दे का असर हम सीमा की शांति एवं सुरक्षा तथा चीन-भारत संबंधों के सामान्य विकास पर नहीं पड़ने देंगे.
उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि मीडिया संयंम बरते तथा ऐसी अनुकूल परिस्थितियां तैयार करे जिससे दोनों देशों के बीच मुद्दों का समाधान मित्रवत ढंग से हो सके. प्रवक्ता ने कहा कि चीन-भारत सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण और स्थिर है. उन्होंने कहा, मैं आपको बताना चाहती हूं कि सीमा पर मौजूदा स्थिति शांतिपूर्ण और स्थिर है. दोनों देशों की इच्छा है कि विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता और विचार-विमर्श के जरिए होना चाहिए. उन्होंने कहा, बीते तीन दिनों से मैं चीन के विचार को रख रही हूं और अब फिर से दोहराना चाहती हूं कि चीनी सैनिकों ने दोनों देशों के बीच की संधि और प्रोटोकॉल का कड़ाई के साथ पालन करते हुए हमेशा कदम उठाया है.
प्रवक्ता ने कहा कि चीन सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं सुरक्षा तथा सीमा विवाद का समाधान बातचीत के जरिए निकालने को प्रतिबद्ध है.
सेनाध्यक्ष ने एंटनी को दी चीनी घुसपैठ की जानकारी
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के मुद्दे पर सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने आज रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने मुलाकात की और उन्हें वर्तमान स्थिति से अवगत कराया. सेना सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में उत्तरी कमान के सैन्य कमांडरों के साथ स्थिति की समीक्षा करने के बाद जनरल सिंह ने आज घुसपैठ के मुद्दे पर रक्षा मंत्री को स्थिति की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के टी परनाइक के साथ स्थिति की समीक्षा करने के बाद आज जम्मू कश्मीर से लौट आए. सेना ने सरकार और चीन स्टडी ग्रुप की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को जानकारी दी.
सेना ने सरकार को इस मुद्दे से निपटने के लिए कई विकल्प सुझाए हैं जिसमें वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए सेना का सक्रिय उपयोग शामिल है. चीन स्टडी ग्रुप और अन्य पक्षों द्वारा सुझाए गए सभी विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जा रहा है. चीन स्टडी ग्रुप प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रलय के साथ विचार विमर्श करके इस मुद्दे को देख रहा है. सेना ने 5 लद्दाख स्टाउट बटालियन को डीबीओ क्षेत्र में भेज दिया है और वे वहां डेरा डाले हुए हैं. इस क्षेत्र में जरुरत पड़ने पर अतिरिक्त सैनिक भेजने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.
गौरतलब है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में 10 किलोमीटर भीतर तक घुसपैठ कर वहां चौकी बना ली. आधिकारिक सूत्रों से खबर आई है कि इस बार लेह से करीब 300 किलोमीटर दूर चुमार इलाके में चीन के हेलीकॉप्टर घुसे थे. ये घुसपैठ 21 अप्रैल को हुई थी. उस दिन काफी देर तक भारतीय सीमा में चीनी के हेलीकप्टर हवा में मंडराते रहे. जाने से पहले उन लोगों ने कुछ खाने पीने-के सामान के कैन, सिगरेट के पैकेट और स्थानीय भाषा में लिखे नोट गिराए थे.
पिछले साल सितंबर महीने में भी चीन के हेलीकॉप्टर इस इलाके में घुसे आए थे, तब यहां चीन के कुछ जवान भी उतरे थे और भारतीय फौज के कुछ पुराने बंकरों और टेंट को तहस-नहस कर दिया था.
वहीं भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ पर तनाव बढ़ता जा रहा है. लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में 10 किलोमीटर भीतर तक घुस आई चीनी फौज इसे अपना हिस्सा बता रही है. इस मुद्दे पर भारतीय और चीनी फौज के बड़े अफसरों के बीच करीब तीन घंटे की बैठक हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
चीनी फौज ने दौलतबेग ओल्डी इलाके से वापस जाने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि चीन के रुख को देखते हुए अब भारत भी फौज की एक टुकड़ी इस इलाके में भेजने पर विचार कर रहा है. सेना की लद्दाख स्क्वाड को पहले ही इलाके में भेजा जा चुका है.
भारत की ओर से सीमा पर यथास्थिति बहाल करने की मांग को नजरअंदाज करते हुए चीन ने एक बार फिर अपने पहले के रुख को कायम रखा और कहा कि उसके सैनिकों ने लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन नहीं किया है.
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इस बात को दोहराना चाहती हूं कि चीन के सैनिक द्विपक्षीय समझौतों का कड़ाई के साथ पालन करते हुए काम कर रहे हैं और एलएसी पर अपनी ओर सामान्य गश्त लगा रहे हैं.’ वह दोनों देशों की सेना के बीच मंगलवार को हुई फ्लैग मीटिंग और भारत की ओर से यथास्थिति बहाल करने की मांग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं.
हुआ ने बीते 22 अप्रैल को दिए अपने बयान को दोहराया. इससे स्पष्ट होता है कि चीन इस रुख पर कायम है कि एलएसी का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और बातचीत के जरिए समाधान निकाले जाने तक उसके सैनिक उसी स्थान पर बने रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा विवाद पर विचार-विमर्श व्यवस्था के तहत इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ‘संपर्क माध्यम’ खोले हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एलएसी पर बनी सहमति पर अडिग रहना चाहिए. हुआ ने कहा, ‘दोनों पक्षों को सहमति का पालन करना चाहिए जो दोनों के हित में है. दोनों पक्षों को सीमा मुद्दों का मौजूदा व्यवस्थाओं के तहत समाधान करने और द्विपक्षीय संबंधों के अनुकूल माहौल बनाने के मकसद से मिलकर काम करना चाहिए.’ इस पूरे विवाद के सामने आने के बाद यह पहला मौका है जब चीन ने स्वीकार किया है कि इस मुद्दे पर दोनों देश चर्चा कर रहे हैं.
मंगलवार को फ्लैग मीटिंग के बाद भारत ने चीन से कहा था कि लद्दाख की देपसांग घाटी में यथास्थिति बहाल की जाए. भारतीय सेना ने आरोप लगाया था कि चीन के सैनिक भारतीय सीमा में करीब 10 किलोमीटर अंदर घुस आए हैं. यह घटना उस वक्त हुई है जब चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग के अगले महीने नई दिल्ली का दौरा करने की योजना है.