म्यूनिख : कश्मीर में निर्यात किए जा रहे आतंकवाद से भारत के जूझने की बात पर जोर देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा है कि देश के मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे और वास्तविक मायने में बहुलवादी समाज ने इस्लामी आतंकवाद को फलने-फूलने नहीं दिया है.
51वें म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कल ‘वॉर ऑन टेरर’ पर एक परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए डोभाल ने कहा कि एक के बाद एक कर सभी भारतीय सरकारों ने सभी अल्पसंख्यक समूहों को समाज की मुख्यधारा में लाने की नीति पर काम किया है जिसकी वजह से कट्टरपंथी इस्लामी मुस्लिम आबादी के बीच अपनी चरमपंथी विचारधारा की पैठ बनाने में सफल नहीं हो सके हैं.
डोभाल ने ये बातें उस वक्त कही जब परिचर्चा में हिस्सा ले रहे एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि कट्टरपंथी भावनाओं का उभार रोकने और इस्लामी आतंकवाद को पनपने से रोकने के लिए भारत ने उन देशों से बेहतर क्या काम किया है जहां बडी संख्या में मुसलमान रहते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत कश्मीर में ‘‘निर्यात किए जा रहे आतंकवाद’’ की समस्या से जूझ रहा है.
डोभाल ने कहा कि कश्मीर में पिछले महीने हुए चुनाव ने दिखाया कि जनसंख्या के एक बडे हिस्से ने चुनाव बहिष्कार के आह्वान की अनदेखी की और मतदान में हिस्सा लिया क्योंकि देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में उनका भरोसा है और वे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के प्रभाव में नहीं आना चाहते.
उन्होंने कहा कि भारत उन देशों में शामिल है जहां मुस्लिम आबादी सबसे अधिक हैं, लेकिन इसके बावजूद देश के मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे और वास्तविक तौर पर बहुलवादी समाज ने इस्लामी आतंकवाद को वहां पनपने की जमीन नहीं उपलब्ध होने दी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत अलग तरीके से आतंकवाद से मुकाबला कर रहा है और यह भी एक वजह है जिससे मुस्लिम आबादी में चरमपंथी भावनाएं कम पैठ बना पाई.