दोनों सदनों में छाया रहा तेलंगाना मुद्दा
नयी दिल्ली: संसद में मानसून सत्र के पहले दिन आज पृथक तेलंगाना के गठन का मुद्दा छाया रहा. बोडोलैंड सहित नये राज्यों के गठन की मांग को लेकर हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित रही.दोनों ही सदनों में आंध्र प्रदेश के कुछ सदस्यों ने तेलंगाना गठन के प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी […]
नयी दिल्ली: संसद में मानसून सत्र के पहले दिन आज पृथक तेलंगाना के गठन का मुद्दा छाया रहा. बोडोलैंड सहित नये राज्यों के गठन की मांग को लेकर हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित रही.दोनों ही सदनों में आंध्र प्रदेश के कुछ सदस्यों ने तेलंगाना गठन के प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी की. वे सीमांध्र क्षेत्र के लोगों के लिए न्याय की मांग करते देखे गये.
कुछ सदस्य एकीकृत आंध्र प्रदेश के समर्थन में पोस्टर लिये हुए दिखे तो कुछ के हाथ में समाचार पत्र की वह प्रति थी, जिसमें टीआरएस प्रमुख ने कथित रुप से सीमांध्र क्षेत्र के स्टाफ से तेलंगाना छोडकर जाने को कहा था. हंगामे के बीच तेदेपा सदस्य एन शिवाप्रसाद कांग्रेस की ओर से नारेबाजी कर रहे एक सदस्य के पास आये और धमकी भरे अंदाज में कुछ कहते देखे गये लेकिन शिवाप्रसाद को उनकी पार्टी के सदस्यों ने शांत करा दिया.
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सदस्यों को शांत कराने की कोशिश की लेकिन हंगामा थमा नहीं.
लोकसभा में तीन बजे तक तीन बार और राज्यसभा में चार बार कार्यवाही स्थगित हुई. दोनों ही सदनों में तीन बजे बैठक शुरु होने पर हंगामा जारी रहा और बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पडी.लोककसभा में कांग्रेस और तेदेपा तथा राज्यसभा में तेदेपा सदस्य आसन के सामने आकर ‘हमें न्याय चाहिए’ के नारे लगा रहे थे.
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के एस के बैसिमुथियारी पृथक बोडोलैंड की मांग के समर्थन में गले में बडा सा बैनर लटकाये आसन के सामने आ गये. अध्यक्ष मीरा कुमार ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपनी जगहों पर लौटने को कहा लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी. शोरगुल के बाद एक तारांकित प्रश्न हुआ और उसके बाद अध्यक्ष ने बैठक मध्याहन के लिए स्थगित कर दी.राज्यसभा में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के बिस्वजीत दाइमरी ने हाथ में पोस्टर लिये आसन के सामने आ गये. तेदेपा सदस्यों आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ हाथ में पोस्टर लिये हुए थे तो दाइमरी के हाथ में पोस्टर था, जिस पर लिखा था .. ‘‘अगर तेलंगाना तो बोडोलैंड क्यों नहीं ?’’