मंदी की चिंता की वजह से हटीं पॉस्को व आर्सेलर:बेनी

नयी दिल्ली : इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने दुनिया की अग्रुणी इस्पात कंपनियों आर्सेलरमित्तल तथा पॉस्को द्वारा अपनी भारतीय परियोजनाओं के रद्द करने के मुद्दे पर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा है कि वैश्विक इस्पात बाजार में मंदी के अलावा कारोबारी चिंताओं की वजह से संभवत: आर्सेलरमित्तल तथा पॉस्को ने भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2013 1:57 PM

नयी दिल्ली : इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने दुनिया की अग्रुणी इस्पात कंपनियों आर्सेलरमित्तल तथा पॉस्को द्वारा अपनी भारतीय परियोजनाओं के रद्द करने के मुद्दे पर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा है कि वैश्विक इस्पात बाजार में मंदी के अलावा कारोबारी चिंताओं की वजह से संभवत: आर्सेलरमित्तल तथा पॉस्को ने भारत में अपनी 18 अरब डालर की परियोजनाओं को रद्द करने का फैसला किया है. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल की आधुनिकीकरण प्रक्रिया तथा तथा निजी क्षेत्र की इस्पात कंपनियों की क्षमता विस्तार योजना प्रभावित नहीं होगी.

वर्मा ने कहा, ‘‘फिलहाल अंतरराष्ट्रीय इस्पात बाजार में मंदी चल रही है. आर्सेलरमित्तल और पॉस्को की अपनी कारोबारी चिंताएं हैं. उन्होंने यह फैसला संभवत: अपने लाभ और नुकसान को देखकर लिया है.’’आर्सेलरमित्तल ने पिछले महीने ओड़िशा में अपनी प्रस्तावित 12 अरब डालर की परियोजना को रद्द करने का फैसला किया था. यह सबसे बड़ा विदेशी निवेश प्रस्ताव है जिसे रद्द किया गया है. इससे पहले पॉस्को ने कर्नाटक में भूमि अधिग्रहण में दिक्कत, कच्चे माल तथा अन्य समस्याओं की वजह से कर्नाटक में 6 अरब डालर की परियोजना से हटने का फैसला किया था. वर्मा ने कहा, ‘‘आर्सेलरमित्तल कभी भारत आई ही नहीं थी. ऐसे में उसके वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या इससे देश के इस्पात क्षेत्र पर असर पड़ेगा, वर्मा ने कहा कि इससे इस्पात विनिर्माण क्षमता प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सेल, आरआईएनएल तथ एनएमडीसी जैसी कंपनियों ने पहले ही आधुनिकीकरण तथा विस्तार अभियान शुरु किया हुआ है. वहीं निजी क्षेत्र की कई कंपनियां अपनी क्षमता का विस्तार कर रही हैं.इस्पात मंत्री ने कहा, ‘‘हम अपनी घरेलू क्षमता और खपत बढ़ा रहे हैं. हम गुणवत्ता वाले इस्पात का उत्पादन कर रहे हैं. हमने 2020 तक 20 करोड़ टन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इसे 2025 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन किया जाएगा. घरेलू खिलाड़ियों का आधुनिकीकरण जल्द पूरा हो जाएगा और उत्पादन बढ़ेगा. निजी क्षेत्र भी अपनी क्षमता बढ़ा रहा है.’’

स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) अगले साल तक अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2.4 करोड़ टन करेगी, जो फिलहाल 1.4 करोड़ टन है. कंपनी का लक्ष्य 1.2 लाख करोड़ रपये के खर्च के साथ 2022 तक अपनी क्षमता को 5 करोड़ टन पर पहुंचाने का है. आरआईएनएल अपनी क्षमता को बढ़ाकर 63 लाख टन करने को तैयार है. बाद में वह इसे और बढ़ाकर 1.1 करोड़ टन करेगी.निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा स्टील ने अपने जमशेदपुर संयंत्र में 30 लाख टन सालाना क्षमता जोड़ी है. इसके अलावा वह ओड़िशा में 30 लाख टन सालाना क्षमता का संयंत्र लगा रही है. देश की इस्पात विनिर्माण क्षमता फिलहाल 9 करोड़ टन की है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल में इसे बढ़ाकर 2025 तक 30 करोड़ टन करने पर जोर दिया है.

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