नयी दिल्ली : दिल्ली में आम आदमी पार्टी मुसलिम बहुल इलाकों का समर्थन अपने पक्ष में करने में कामयाब रही और पांच मुसलिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर जीत हासिल की, जबकि त्रिकोणीय मुकाबले में ऐसी एक सीट भाजपा की झोली में चल गयी. दिल्ली में आप 67 सीटों पर जीत हासिल करके उत्तसाहित है. इस जीत के लिए निम्न कारक को मुख्य माना जा सकता है…
1. 49 दिनों की केजरीवाल सरकार के लिये गये निर्णय, जैसे- बिजली-पानी की दरों में भारी कमी, भ्रष्टाचार पर लगाम और सिख-विरोधी दंगों की विशेष जांच.
2. लोकसभा चुनाव में भारी जीत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यापक लोकप्रियता और अध्यक्ष अमित शाह की सांगठनिक क्षमता के आधार पर दिल्ली में जीत को लेकर भाजपा का अतिआत्मविश्वास.
3. भाजपा के पुराने नेताओं-कार्यकर्ताओं को हाशिये पर डाल कर केजरीवाल की ‘काट’ के रूप में किरण बेदी को अंतिम समय में लाये जाने से पार्टी के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं में असंतोष. साथ में अनेक रणनीतिक भूलें.
4. मोदी सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन से दिल्ली के ग्रामीण मतदाताओं में असंतोष.
5. भाजपा और आरएसएस के नेताओं के सांप्रदायिक बयानों के कारण अल्पसंख्यक मतों का आम आदमी पार्टी की ओर रुख करना.
6. बुनियादी सुविधाओं की कमी और बढ़ती महंगाई से गरीब और निम्न मध्य वर्ग के मतदाताओं में मोदी सरकार और दिल्ली की तीन नगर निगमों में भाजपा के कामकाज से गहरी निराशा.
7. आम आदमी पार्टी का प्रचार पारंपरिक कैडर मॉडल की बजाय वॉलंटियर मोड पर आधारित होना और चुनावी खर्च के लिए आम लोगों से चंदे हासिल करने की प्रक्रिया पर जोर.
8. अंतिम छनों में भाजपा भाजपा के विज्ञापानों का नकारात्मक प्रभाव ने भी आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचाया.
9. भाजपा की ओर से सीएम उम्मीदवार किरण बेदी की पैरासूट लैंडिंग से भी आप को फायदा पहुंचा. कुछ भाजपा कार्यकर्ता इस फैसले से नाखुश थे.
10 . आम आदमी पार्टी का आइटी सेल भाजपा से मजबूत निकला जिसने इंटरनेट पर भाजपा को पटखनी दी.