NFHS-5 : घरेलू हिंसा झेलती हैं झारखंड की 31.5 फीसदी महिलाएं, 67.5 फीसदी बच्चियां एनीमिक

NFHS-5: झारखंड की 31.5 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं, तो 67.5 फीसदी बच्चियां एनीमिक हैं. वहीं, बच्चों का बी समुचित विकास नहीं हो रहा है. 39.6 फीसदी बच्चे बौने हैं. पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट...

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2021 6:40 AM
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रांचीः राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) की ताजा रिपोर्ट आ गयी है. कई मानकों पर अब भी झारखंड काफी पिछड़ा है. खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और उनकी शिक्षा के मामले में.

झारखंड में 31.5 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. 67.5 फीसदी बेटियां एनीमिया (रक्ताल्पता) की शिकार हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS-5) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड में जन्म के समय लिंगानुपात 899 है. राज्य में महिला साक्षरता की दर अब भी 61.7 फीसदी ही हो पायी है. 10 साल से अधिक उम्र की महज 33.2 फीसदी लड़कियां ही स्कूल जा रही हैं.

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एनएचएफएस-5 के आंकड़े बताते हैं कि आज भी झारखंड में कम से कम 32.2 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की आयु पूरी करने से पहले हो जाती है. झारखंड की आबादी का 65.8 फीसदी किशोर में खून की कमी की समस्या है. यानी इतनी बड़ी आबादी एनीमिक है.

पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया की बात करें, तो यह 67.5 फीसदी है. यानी झारखंड में जन्म लेने वाले आधे से अधिक बच्चों में खून की कमी है.

NFHS-5 की खास बातें

  • 26,495 महिलाओं और 3,414 पुरुषों की राय पर आधारित है रिपोर्ट

  • 5 साल से कम उम्र के 67.5 फीसदी बच्चे हैं एनीमिया के शिकार

  • 32.2 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के जो आंकड़े जारी किये गये हैं, उसमें बताया गया है कि राज्य की 31.5 फीसदी महिलाओं को घरेलू हिंसा झेलनी पड़ती है.

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इनमें से 3.1 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें किसी न किसी रूप में शारीरिक हिंसा झेलनी पड़ती है. सर्वेक्षण में शामिल 1.3 फीसदी महिलाओं ने बताया है कि उन्हें यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है.

बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में भी स्थिति बेहद चिंताजनक हैं. 5 साल से कम उम्र के 39.4 फीसदी बच्चों का वजन कम है. वहीं, इससे अधिक 39.6 फीसदी बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाया. राज्य के करीब 40 फीसदी बच्चे, जिनकी उम्र 5 साल या उससे कम है, बौने हैं.

कोरोना की वजह से दो भागों में हुआ सर्वे

झारखंड समेत देश के अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से इस बार सर्वेक्षण का काम दो भागों में किया गया. कोरोना महामारी के पहले 20 जनवरी से 21 मार्च तक और उसके बाद लॉकडाउन खत्म होने के बाद 5 दिसंबर 2020 से 18 अप्रैल 2021 तक.

डीआरएस ने किया सर्वेक्षण

सर्वेक्षण का जिम्मा डेवलपमेंट एंड रिसर्च सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (डीआरएस) को सौंपा गया था. इस एजेंसी ने 22,863 मकानों में रहने वाली 26,495 महिलाओं और 3,414 पुरुषों से बातचीत करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है.

Posted By: Mithilesh Jha

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