दिल्ली चुनाव परिणाम पर रविवार को भाजपा – RSS की होगी बैठक, यशवंत व रमन सिंह ने बताये हार के कारण

दिल्ली चुनाव में भाजपा की करारी हार पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व औपचारिक रूप से शुक्रवार को मंथन चिंतन करने वाला है. शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक प्रस्तावित है. यह बैठक दिल्ली चुनाव परिणाम के संदर्भ में ही बुलायी गयी है. वहीं, रविवार को भाजपा और संघ की समन्वय बैठक दिल्ली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 1:26 PM
दिल्ली चुनाव में भाजपा की करारी हार पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व औपचारिक रूप से शुक्रवार को मंथन चिंतन करने वाला है. शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक प्रस्तावित है. यह बैठक दिल्ली चुनाव परिणाम के संदर्भ में ही बुलायी गयी है. वहीं, रविवार को भाजपा और संघ की समन्वय बैठक दिल्ली चुनाव के मद्देनजर होगी. इसमें दोनों पक्ष के नेता हार के कारण व हुई भूल पर मंथन करेंगे और विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव में इस सीख को अमल में लायेंगे.
लेकिन, इसके इतर पार्टी के बडे नेता अपने अपने हिसाब से इस चुनाव परिणाम का विेषण कर रहे हैं और उस पर टिप्पणी कर रहे हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व वित्त एवं विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने अंगरेजी अखबार द इकोनामिक्स टाइम्स में एक ब्लॉग लिख कर इस चुनाव परिणामों का अपने तरह से विेषण किया है, वहीं छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अपनी मुंबई यात्र के दौरान दिल्ली में स्थानीय नेतृत्व को प्रोजेक्ट नहीं किये जाने को हार के लिए जिम्मेवार बताया है.
यशवंत सिन्हा ने अपने लेख में अपने संसदीय क्षेत्र रहे हजारीबाग के अपने चुनावी अनुभवों के आइने में दिल्ली विधानसभा चुनाव की व्याख्या की है. उन्होंने लिखा है कि इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में मात्र 0.9 प्रतिशत नीचे गिरा और पार्टी की सीटें 32 से गिर कर तीन हो गयीं. उन्होंने भारतीय चुनाव प्रणाली का उल्लेख करते हुए उसे इस परिणाम के लिए उसे जिम्मेवार ठहराया है, जहां सर्वाधिक वोट लाने वाला ही विजेता होता है. उन्होंने इसके लिए नरेंद्र मोदी व अमित शाह की जोडी को दोष दिये जाने को खारिज किया है. सिन्हा ने यह भी लिखा है कि नि:संदेह उनकी पार्टी इससे सबक सीखेगी, पर दिल्ली चुनाव परिणाम को इस तरह प्रस्तुत करना कि भाजपा के लिए दुनिया ही खत्म हो गयी, गलत है. उन्होंने लिखा है कि दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद स्वाभाविक रूप से आप की रणनीति व कार्यप्रणाली की तारीफ की गयी और चुनाव परिणाम का विेषण व व्याख्या इस ढंग से किया गया कि भजपा ने अबतक सबकुछ गलत ही किया है. उन्होंने लिखा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद वर्तमान में आप पार्टी वाली स्थिति भाजपा के साथ थी.
यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग लोकसभा सीट से 2004 में खुद के स्थानीय वामपंथी नेता भुवनेश्वर मेहता के हाथों 1.05 लाख वोट से हारने का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि वह तब हारे जब उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्रों के लिए केंद्र में मंत्री रहते कई योजनाओं को मंजूदी दिलायी और इससे पहले 1998 व 1999 में वे आसानी से जीते, जबकि उस समय मैं शायद ही विकास के कोई कार्य अपनी व्यस्तता के चलते कर पाया था.
सिन्हा ने लिखा है कि भाजपा की हार इसलिए हुई, क्योंकि गैर भाजपा वोट एक तरफ आप के पक्ष में पडे. आप पार्टी ने अपने आप को भाजपा का इकलौता विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने में कामयाबी पायी. उन्होंने लिखा है कि इस परिणाम को नरेंद्र मोदी, अमित शाह की जोडी की असफलता, मोदी सरकार की विफलता, किरण बेदी को सीएम कंडिडेट के रूप में प्रस्तुत करना, भाजपा कैडरों में मतभेद या मोदी के महंगे कढाईदार शूट को जिम्मेवार ठहाया जा रहा है, जो उचित नहीं है.
वहीं, डॉ रमन सिंह ने स्थानीय नेतृत्व के महत्व को गौण किये जाने को हार का कारण बताते हुए कहा है कि दिल्ली चुनाव में स्थानीय नेतृत्व को प्रोजेक्ट नहीं करना पार्टी की बडी भूल है. इससे पार्टी में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई. उनके अनुसार, दिल्ली में खराब प्रदर्शन का यही सबसे बडा कारण है. डॉ सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि दिल्ली चुनाव का असर देश पर पडेगा. इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि आप पार्टी का आधार अभी सिर्फ दिल्ली तक है और उसे अपना देशव्यापी जनाधार बढाने के लिए काफी सपोर्ट जुटाना होगा. उनके अनुसार, जलापूर्ति, बिजली व कानून व्यवस्था की समस्या दिल्ली चुनाव के अहम मुद्दे थे.

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