नयी दिल्ली : दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत ने दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की मुश्किलें बढा दी है. जहां एक ओर भाजपा अपनी छवि सुधारने की ओर ध्यान दे रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में फूट के संकेत मिलने लगे हैं. दिल्ली में ‘आप’ की जीत के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की छवि को लेकर सतर्क हो गये हैं. लिहाजा, हार के दो दिन बाद ही सरकार के प्रचार तंत्र को जनता की नब्ज टटोलने के लिए आंतरिक आकलन के सिस्टम को दुरुस्त करने के निर्देश दिये हैं.
सरकार के शीर्ष स्तर से मंत्रालय को दो टूक कहा गया है कि सरकार की छवि निर्माण के प्रबंधक के तौर पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन पर है. जनता की धारणा को सकारात्मक बनाने के सिस्टम को हर रोज 24 घंटे तैयार रखने की योजना बनायी जा रही है. हर मंत्रलय में सूचना, प्रचार और प्रसार के लिए संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने की प्रणाली को जल्द से जल्द बनाने की बात है. सरकार को लेकर कुछ नकारात्मक रिपोर्ट जा रही हो, तो उसमें सरकार का पक्ष भी रखा जाये, ताकि जनता तक सरकार की बात भी पहुंचे.
खुल कर सामने आयी कांग्रेस की लड़ाई
दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपने सफाये को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर का संग्राम गुरुवार को खुल कर सामने आ गया जिसमें शीला दीक्षित ने चुनाव में पार्टी के चेहरा रहे अजय माकन पर हमला बोला. इसके चलते पाटी अध्यक्ष सोनिया गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने इन नेताओं से सार्वजनिक स्तर पर बहस में नहीं उलझने को कहा. दीक्षित द्वारा माकन पर हमला बोलने तथा दिल्ली मामलों के प्रभारी पीसी चाको की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री को एक प्रकार से चुप रहने को कहे जाने के कुछ ही घंटों बाद सोनिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वरिष्ठ नेता सार्वजनिक तौर पर तू-तू, मैं-मैं कर रहे हैं. उन्हें संयम बरतना चाहिए. एआइसीसी प्रभारी चाको ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’
चाको एवं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने शाम में सोनिया से मुलाकात कर उन्हें दिल्ली चुनाव के नतीजों की जानकारी दी. माकन, चाको और लवली पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. इन नेताओं ने बुधवार को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी. पार्टी नेतृत्व जब तक उनके इस्तीफों के बारे में गौर नहीं कर लेता, वे अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे.