शंकराचार्य मंदिर ले जाया गया छड़ी मुबारक

श्रीनगर : भगवान शिव की भगवा वस्त्र से सजी पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ को आज यहां एक पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में ले जाया गया और वार्षिक अमरनाथ यात्रा से जुड़ी सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की गयी. महंत दीपेंद्र गिरी और उनके साथ साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं का जत्था शहर में स्थित दशनामी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2013 3:37 PM

श्रीनगर : भगवान शिव की भगवा वस्त्र से सजी पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ को आज यहां एक पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में ले जाया गया और वार्षिक अमरनाथ यात्रा से जुड़ी सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की गयी. महंत दीपेंद्र गिरी और उनके साथ साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं का जत्था शहर में स्थित दशनामी अखाड़ा से छड़ी मुबारक को लेकर निकला और शंकराचार्य मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गयी.गिरी द्वारा 2004 में स्थापित ‘ट्रू ट्रस्ट’ के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक घंटे की पूजा के दौरान शंख की गुंजायमान ध्वनि से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया और इस दौरान बड़ी संख्या में साधु-संत तथा तीर्थयात्री उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना की गयी. प्रवक्ता ने कहा कि छड़ी मुबारक को कल हरी पर्वत स्थित शारिका भवानी मंदिर में ले जाया जाएगा और यह 16 अगस्त को अमरनाथ यात्रा में शामिल होगी.

छड़ी मुबारक को 22 जुलाई को पहलगाम ले जाया गया था जो 3,880 मीटर उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के यात्रा मार्ग का पारंपरिक आधार शिविर हैं. गत 11 अगस्त को ‘नाग पंचमी’ पर यहां दशनामी अखाड़ा में ‘छड़ी पूजन’ के बाद गिरी पवित्र छड़ी को 21 अगस्त को श्रवण पूर्णिमा के दिन अमरनाथ गुफा मंदिर में ले जाएंगे और इसके साथ ही 55 दिन तक चलने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा का समापन हो जाएगा.


‘छड़ी मुबारक’ की श्रीनगर से अमरनाथ की यात्रा 16 अगस्त को शुरु होगी और इस दौरान 46 किलोमीटर लंबे पहलगाम वाले परंपरागत मार्ग पर पहलगाम, चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी में रात्रि विश्रम किया जाएगा. अमरनाथ यात्रा 28 जून को शुरु हुई और अब तक 3.45 लाख से अधिक तीर्थयात्री गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं. यात्रा के दौरान अब तक कुल 13 लोगों की स्वाभाविक कारणों से मृत्यु हो गयी जिनमें एक साधु समेत 11 तीर्थयात्री और दो सेवादार शामिल हैं.

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