दिल्ली सरकार की पहली कैबिनेट बैठक आज, मुफ्त बिजली और पानी के वादों पर सबकी नजर

नयी दिल्लीः आम आदमी पार्टी को विधानसभा में मिली शानदार जीत के बाद दिल्ली सरकार पहली कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले ले सकती है. दिल्लीवासियों को मुफ्त पानी और सस्ती बिजली को लेकर पार्टी के किये गये वादों पर अब घोषणा का इंतजार है. आप भी इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2015 7:59 AM

नयी दिल्लीः आम आदमी पार्टी को विधानसभा में मिली शानदार जीत के बाद दिल्ली सरकार पहली कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले ले सकती है. दिल्लीवासियों को मुफ्त पानी और सस्ती बिजली को लेकर पार्टी के किये गये वादों पर अब घोषणा का इंतजार है. आप भी इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर है पार्टी अच्छी तरह जानती है कि उसकी जीत इन मूलभूत सुविधाओं पर किये गये वादों के कारण ही हुई है.

कई मायनों में आज होने वाली पहली कैबिनेट बैठक महत्वपूर्ण है. पार्टी अपने किये गये वादों को पूरा करने के लिए रोडमैप का खाका तैयार करने की कोशिश करेगी. फ्री वाई फाई पर पार्टी कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार कर रही है जिसमें कुछ मीनट फ्री देने, सीमित डाटा देने या वाईफाई शुरू होने के बाद पहले दो मीनट के प्रचार के जरिये कीमत वसूलने पर विचार कर रही है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण के बाद जनसमूह को संबोधित करते हुए भी यह कहा है कि सभी चुनावी वादे पूरे किए जाएंगे, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। लोगों ने पांच साल के लिए सरकार चुनी है इसलिए एक-एक कर वादों पर अमल होगा. पिछली बार के अनुभवों के आधार पर केजरीवाल फूंक फूंक कर कदम रखना चाहता है.
जल्दीबाजी में कोई ऐसी गड़बड़ी नहीं करना चाहते जिससे विरोधियों को सवाल खड़ा करने का मौका मिले. अन्य वादों पर सरकार समय तो मांग रही है लेकिन इनकी कोशिश है कि पानी और बिजली के लिए किये गये वादों पर जल्द से जल्द काम शुरू हो. दिल्ली में इस समय प्रति माह 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 30 फीसद तथा 201 से 400 यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को बिल में लगभग 15 फीसद छूट दी जा रही है.
अब नई सरकार 400 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 50 फीसद सस्ती बिजली उपलब्ध कराएगी. इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी देनी होगी. इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने और घोटालों की जांच करने पर भी सख्त है.

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