भाजपा को ही महंगा पडा नरेंद्र मोदी का कांग्रेसमुक्त भारत का नारा, अब आप पार्टी करेगी राज्यों में विस्तार

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेसमुक्त भारत बनाने का नारा दिया. उनका यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि उनकी पार्टी का हर नेता, कार्यकर्ता की जुबान पर यह चिपक सा गया. स्थिति यह हो गयी कि यह नारा राज्यों के चुनाव में वहां के प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर करारा हमला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2015 12:18 PM
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेसमुक्त भारत बनाने का नारा दिया. उनका यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि उनकी पार्टी का हर नेता, कार्यकर्ता की जुबान पर यह चिपक सा गया. स्थिति यह हो गयी कि यह नारा राज्यों के चुनाव में वहां के प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर करारा हमला करने के लिए उपयोग किया जाने लगा. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह नारा सबसे महंगा भाजपा को ही पडा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य एक तरह से कांग्रेसमुक्त हो गया और वहां दो ही पार्टियां अस्तित्व में नजर आयीं, एक अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और दूसरी भाजपा. लेकिन दिल्ली के कांग्रेसमुक्त होने का नतीजा यह हुआ कि पिछले विधानसभा चुनाव से महज एक प्रतिशत कम वोट लाकर भी भाजपा 31 सीट से तीन सीटों पर सिमट गयी. अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सीधे मुकाबले में होती तो भाजपा चुनाव भी जीत सकती थी, नहीं तो कम से कम दूसरे नंबर पर अवश्य रहती. दिल्ली के एक वोटर के अनुसार, उसने इस बार आम आदमी पार्टी को वोट दी, क्योंकि वही भाजपा से मुकाबले में दिख रही थी. उस वोटर से यह सवाल पूछने पर कि उसने ऐसा क्यों किया, उसका कहना है कि उसने पिछली बार कांग्रेस को विधानसभा व लोकसभा चुनाव में वोट दिया था, लेकिन इस बार वह मुकाबले में नहीं दिख रही थी, इसलिए उसने अपने वोट को आम आदमी पार्टी को देना उचित समझा.
इस बार दिल्ली विधानसभा में 67 प्रतिशत वोटिंग हुई. कुल पडे वोट में अकेले आम आदमी पार्टी को 54.3 प्रतिशत वोट मिले. जबकि भाजपा को 32.2 प्रतिशत और कांग्रेस को मात्र 9.7 प्रतिशत वोट मिले. महज 1.3 प्रतिशत वोट के साथ बसपा चौथे नंबर पर रही. इस बार कांग्रेस व बसपा का वोट प्रतिशत जबरदस्त गिरा. पिछले चुनाव यानी 2013 में कांग्रेस को राज्य में लगभग 24.55 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि बसपा को 5.35 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, 33.07 प्रतिशत वोट व 29 प्रतिशत वोट के साथ भाजपा और आम आदमी पार्टी क्रमश: 31 और 28 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
वोटों के इन आंकडों से साफ है कांग्रेस का वोट सिकुडने का नुकसान भाजपा को हुआ. आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत इस बार करिश्माई रूप से 25 प्रतिशत बढ गया. अगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत पूर्ववत होता या उसमें मामूली गिरावट आती तो शायद भाजपा को उतनी करारी हार नहीं देखनी पडती कि विपक्ष का दर्जा पाने के लिए उसे सत्तापक्ष की कृपा पर निर्भर रहना पडता. भाजपा ने यही हश्र लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का किया था, पर उस दंभ को वह बार बार सार्वजनिक करती रही. शायद इसे ही अहंकार कहते हैं.
टीम अन्ना और आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का पहले चरण में लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला और वह प्रबल वोट के साथ सत्ता में आ गयी. अब नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे का दूसरे चरण में आम आदमी पार्टी लाभ उठाने जा रही है. वह भारतीय राजनीति में भाजपा, कांग्रेस का विकल्प बनने को तैयार है. आप पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि अगले पांच साल में पार्टी चार राज्यों में विस्तार कर लेगी. जाहिर है, जब पार्टी के पास पांच साल का एजेंडा है तो दस साल का एजेंडा भी होगा और वह एक दिन केंद्र में भी सरकार बनाने का सपना देख रही होगी.

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