पीएम नरेंद्र मोदी ने IAS अधिकारियों को दी सलाह, ”जनहित को सर्वोपरि रखें”

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रशिक्षु आईएसएस अधिकारियों से कहा कि अपना सरकारी दायित्व एवं जिम्मेदारियां निभाते समय वे जनहित को सर्वोपरि रखें. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपना आकलन इस बात से करना चाहिए कि वे गरीबों की जिंदगी में कितना बदलाव ला पाये. उन्‍होंने यह भी कहा कि सुरक्षित करियर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2015 12:55 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रशिक्षु आईएसएस अधिकारियों से कहा कि अपना सरकारी दायित्व एवं जिम्मेदारियां निभाते समय वे जनहित को सर्वोपरि रखें. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपना आकलन इस बात से करना चाहिए कि वे गरीबों की जिंदगी में कितना बदलाव ला पाये. उन्‍होंने यह भी कहा कि सुरक्षित करियर मार्ग मिल जाने से आईएएस अधिकारियों को संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में मोदी के हवाले से कहा गया, ‘उन्हें अपना आकलन इस बात से नहीं करना चाहिए कि वे किस पद पर बैठे हैं बल्कि इससे करना चाहिए कि वे गरीबों की जिंदगी में कितना बदलाव ला पाये.’ प्रधानमंत्री 183 प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे जो आज उनसे मिलने गये थे. इनमें भूटान प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारी भी शामिल थे. मोदी ने कहा कि आज सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की पेशकश निजी क्षेत्र द्वारा भी की जा रही है.

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सरकार में इस तरह की सेवाओं को देख रहे अधिकारियों को सेवा की गुणवत्ता की परीक्षा इस वर्ग में सर्वोत्तम मानकों और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मानकों से करनी चाहिए. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास और क्षेत्र की अलग थलग पडने की भावना को दूर किये जाने के संबंध में पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मूल समस्या नीति की नहीं, बल्कि रीति की है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बार देश के अन्य भागों के अधिकारी पूर्वोत्तर में तैनाती से बचना चाहते हैं.

मोदी ने पूर्वोत्तर में ढांचागत विकास पर बल दिया ताकि बाकी देश के साथ क्षेत्र की पहुंच और संपर्क को सुगम बनाया जा सके. ‘ढांचागत विकास होने के बाद पूर्वोत्तर में विकास संभव हो सकेगा.’ रक्षा तैयारियों के बारे में एक अन्य प्रश्न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय रवैया आवश्यक है. इसमें सभी पडोसी देशों के साथ अच्छे संबंध तथा घरेलू रक्षा निर्माण क्षमताओं को बढावा देना शामिल है.

मोदी ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी नौकरशाही मौजूद थी. उन्होंने कहा, ‘महत्वपूर्ण अंतर यह है कि उस दौर में अधिकारी ब्रिटेन के शासन को बरकरार रखने के लिए काम करते थे जबकि स्वतंत्र भारत में प्रशासन का उद्देश्य जन हित होना चाहिए.’ भगवान बुद्ध की शिक्षा का स्मरण दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि उन्हें स्वयं अपना दीप बनना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों के अंतर में भलाई व्याप्त है और यही करियर में उनकी सर्वोत्तम मार्गनिर्देशक बनेगी. मोदी ने कहा कि वह इस बात को दृढता से मानते हैं कि 21वीं सदी भारत की है तथा भारत विश्व गुरु की पदवी पायेगा. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि विश्व ने एक बार फिर भारत के तीव्र आर्थिक विकास की ओर ध्यान देना शुरु कर दिया है.

Next Article

Exit mobile version