काम करने की व्यक्ति की अनिच्छा पत्नी को गुजारा-भत्ता से वंचित करने का आधार नहीं: अदालत
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने पत्नी को अंतरिम गुजारा-भत्ता अदा करने से इंजीनियर पति को छूट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पिछले कई साल से काम करने के प्रति उसकी अनिच्छा ‘‘अपने जीने के लिए गुजारा-भत्ता का दावा करने से उसकी पत्नी और बच्चे को वंचित करने’’ का […]
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने पत्नी को अंतरिम गुजारा-भत्ता अदा करने से इंजीनियर पति को छूट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पिछले कई साल से काम करने के प्रति उसकी अनिच्छा ‘‘अपने जीने के लिए गुजारा-भत्ता का दावा करने से उसकी पत्नी और बच्चे को वंचित करने’’ का पर्याप्त आधार नहीं है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुदेश कुमार ने झारखंड के व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए कहा कि उसे अपनी पत्नी के गुजर-बसर का इंतजाम करना है जो आपसी वैवाहिक विवाद के चलते अलग रह रहे हैं.अदालत ने कहा, ‘‘महज इस कारण कि उसने दावा किया है कि वह अपनी इच्छा से कई साल से काम नहीं कर रहा है, यह उसकी पत्नी और बच्चे को अपने जीने के लिए गुजारा-भत्ता का दावा करने से वंचित करने के लिए काफी नही है.
कुमार ने पति को अपनी पत्नी और बच्चे को अंतरिम गुजारा-भत्ता के तौर पर 10 हजार रुपये देने के निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश में कुछ भी अवैधता या अनियमितता नहीं है.
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता स्वस्थ, सुशिक्षित और काम करने में सक्षम है और उसपर ‘‘पत्नी एवं बच्चे को पालने के अलावा कोई दूसरा दायित्व नहीं है जो अपना गुजारा खुद नहीं कर सकते.’’