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जेल से रिहा हुए डीजे वंजारा, कहा- आ गए ‘अच्छे दिन’

अहमदाबाद: इशरत जहां और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड मामलों में आरोपी विवादास्पद पूर्व आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा करीब साढे सात साल जेल में गुजारने के बाद आज साबरमती केंदीय जेल से बाहर आ गए.जेल से बाहर आने के ठीक बाद खुश दिख रहे वंजारा ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर मेरे लिए और गुजरात पुलिस […]

अहमदाबाद: इशरत जहां और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड मामलों में आरोपी विवादास्पद पूर्व आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा करीब साढे सात साल जेल में गुजारने के बाद आज साबरमती केंदीय जेल से बाहर आ गए.जेल से बाहर आने के ठीक बाद खुश दिख रहे वंजारा ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर मेरे लिए और गुजरात पुलिस के अन्य अधिकारियों के लिए ‘अच्छे दिन’ आ गए हैं.’’

गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस को ‘‘कानून से इतर राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया.’’ वंजारा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश के हर राज्य में पुलिस आतंकवाद के खिलाफ लड रही है. लेकिन, पूर्व के राजनीतिक शासन ने गुजरात पुलिस को सिर्फ एक बार नहीं बल्कि पिछले आठ साल निशाना बनाया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सबसे ज्यादा मुठभेड उत्तरप्रदेश में हुईं जबकि गुजरात में यह सबसे कम हुईं. लेकिन, इसके बावजूद गुजरात पुलिस को कानून से इतर राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया.’’ इससे पहले, दिन में जेल के बाहर पूर्व डीआईजी को उनके सैकडों समर्थकों ने शुभकामनाएं दी.

एक स्थानीय अदालत ने इशरत जहां मामले में तीन फरवरी को उन्हें जमानत दे दी थी जबकि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मामले में मुंबई की एक अदालत से उन्हें पहले ही जमानत मिल गयी थी. शेख और प्रजापति के मामले को उच्चतम न्यायालय ने एक साथ जोड दिया था.वंजारा को गुजरात छोडना होगा क्योंकि अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत देते हुए राज्य में प्रवेश नहीं करने का निर्देश दिया था.

वंजारा को वर्ष 2005 के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड के सिलसिले में सीआईडी क्राइम ने 24 अप्रैल 2007 को गिरफ्तार किया था और तभी से वह सलाखों के पीछे थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सोहराबुद्दीन शेख, प्रजापति और इशरत जहां फर्जी मुठभेड मामलों में वंजारा को आरोपी बनाया था. वंजारा उस वक्त शहर की अपराध शाखा में राज्य के आतंक निरोधी प्रकोष्ठ के मुखिया थे.

अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस के साथ मुठभेड में मुंब्रा में रहने वाली कॉलेज की छात्र इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रणोश पिल्लई, अमजद अली अकबराली राणा और जीशान जौहर के मारे जाने की घटना के वक्त वंजारा अपराध शाखा में पुलिस उपायुक्त थे.

अपराध शाखा ने उस वक्त दावा किया था कि मुठभेड में मारे गए लोग लश्कर ए तैयबा के आतंकी थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए गुजरात आए थे. सीबीआई ने गुजरात उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली थी. सीबीआई ने अगस्त 2013 में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र में कहा गया था कि यह मुठभेड फर्जी थी और शहर की अपराध शाखा और क्राइम ब्रांच और सहायक खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) ने संयुक्त अभियान में इसे अंजाम दिया.

वंजारा ने पिछले साल जमानत याचिका दायर की थी और उसमें दलील दी थी वह जेल में सात साल गुजार चुके हैं और चूंकि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

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