मुंबई : पत्थर मार कर पत्नी और अवयस्क बेटी की जान लेने और फिर उनके सिर काट डालने के दोषी एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा रद्द करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है.न्यायमूर्ति वी के कनाडे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की पीठ ने अयारे को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि उसे 30 साल की कैद की सजा काटने से पहले जेल से रिहा नहीं किया जाना चाहिए.
न्यायाधीशों ने कहा,’ जिस तरह असहाय पीडि़तों, जिनमें एक अवयस्क बच्ची थी, की जान ली गई, उसे तथा अपराध की प्रकृति को देखते हुए उम्रकैद की वह सजा नाकाफी होगी जो आम तौर पर 14 साल की होती है.’
अयारे के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाते हुए अदालत ने कहा,’ इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि आरोपी ने दो असहायों की बेहद क्रूरता और अमानवीय तरीके से हत्या की. यह पता नहीं है कि पहले किसे मारा गया लेकिन स्पष्ट है कि जिस पीडि़त को बाद में मारा गया, उसने पहली पीडिता को निर्ममता से मारे जाते देखा होगा.’
उन्होंने कहा कि इससे जाहिर होता है कि शारीरिक पीडा के साथ साथ आरोपी ने पीडितों को गहरी मानसिक पीड़ा भी दी. उच्च न्यायालय महाराष्ट्र सरकार की उस पुष्टि याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें निचली अदालत द्वारा दोषी को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने की मांग की गई थी.
अयारे को 13 फरवरी 2014 को ठाणे जिले के वसई में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस जे कहिरनार ने मौत की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अयारे ने उच्च न्यायालय में अपील की थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नालासोपाडा के बिलालपाडे में एक चाल में रहने वाले अयारे को पत्नी के चरित्र पर संदेह था और वह आए दिन उससे झगडा करता था.28 जुलाई 2011 को एक पडोसी ने पुलिस को फोन पर बताया कि उसने अयारे के घर से खून बहता देखा. पडोसियों ने यह भी बताया कि उन्होंने अयारे को अपनी पत्नी से झगडा करते भी सुना था.
दरवाजा तोडने पर पुलिस ने अयारे की पत्नी संचिता और बेटी को खून से लथपथ पाया. अयारे भी घायल था. पत्नी और बेटी की हत्या करने के बाद उसने आत्महत्या करने की कोशिश की लेकिन उसे चोटें गंभीर नहीं थीं. पुलिस ने पाया कि अयारे ने पहले एक पत्थर से पत्नी और बेटी पर हमला किया और फिर छुरे से उनके सिर काट डाले थे.