नयी दिल्ली : संसद के कल से शुरू हो रहे बजट सत्र के हंगामेदार रहने के आसार के बीच सरकार ने विपक्षी दलों की चिंताओं को समायोजित करने का भरोसा दिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम जनता के फायदे के लिए विपक्ष से सहयोग की अपील की. प्रधानमंत्री ने यहां सर्वदलीय बैठक में इस बात को रेखांकित किया कि संसद के सुचारु कामकाज को सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि बजट सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है और जनता काफी उम्मीद और आकांक्षाओं के साथ इसे देखती है.
उन्होंने सत्र के बारे में कहा कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद के दोनों सदनों के समय का उचित ढंग से उपयोग हो ताकि हम लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम कर सकें. कल से शुरू हो रहे इस सत्र के दौरान मोदी सरकार अपना पहला पूर्ण आम बजट और रेल बजट पेश करेगी.
उन्होंने बैठक में हिस्सा ले रहे नेताओं से कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि आपने जिन सभी मुद्दों का उल्लेख किया है उन पर उनकी प्राथमिकताओं और महत्व के अनुसार उचित और पर्याप्त रूप से चर्चा की जायेगी.’ इससे पहले विपक्ष से मेल मिलाप की पहल करते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और विधायी कार्यों को आगे बढाने के लिए सबसे बडे विपक्षी दल का सहयोग एवं समर्थन हासिल करने के लिए उनके निवास दस जनपथ गये.
नायडू ने बाद में कहा कि सरकार विपक्ष को समायोजित करने के लिए कदम बढाने को तैयार है. मेरी सिर्फ एक अपील है कि सदन के कामकाज को सुचारु रूप से चलने दिया जाना चाहिए. हालांकि विपक्षी दल सरकार की बातों से सहमत होते नहीं दिखे और सरकार को, और खासकर भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के प्रयासों को लेकर, घेरने के अपने इरादे को स्पष्ट किया. नायडू ने स्वीकार किया कि कुछ विपक्षी पार्टियों ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है, हालांकि कानून का स्थान लेने वाले पांच अन्य अध्यादेशों पर व्यापक सहमति थी.
सोनिया गांधी के साथ अपनी मुलाकात को ‘सौहार्दपूर्ण’ बताते हुए नायडू ने कहा कि उन्होंने भूमि अध्यादेश पर चिंता जताई. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा कि कांग्रेस उन अध्यादेशों और विधेयकों का समर्थन नहीं करेगी जो जनता को मदद नहीं करती. जनता दल यूनाइटेड के नेता शरद यादव ने भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि इसने भूमि कानून को अंग्रेजों के समय के कानून से भी बदतर बना दिया.
इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला ने मांग की कि भूमि अध्यादेश को नये कानून में बदलने वाले विधेयक को समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री ने माना कि भूमि अधिग्रहण एक भावनात्मक मुद्दा है और इस पर अनावश्यक राजनीति किये बिना ईमानदारी से ध्यान देने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि किसी भी मुद्दे पर मतभेद को सुलझाने के लिए सरकार विपक्ष के साथ बातचीत के लिए हमेशा तत्पर है. बजट सत्र लाभकारी हो इसे सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग की भावना जरुरी है.
नायडू ने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि कोई ऐसा मुद्दा है जो खुले मन से बातचीत के जरिये नहीं सुलझ सकता.’ भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि दलीय भावना से उपर उठकर राज्य सरकारों ने 2013 के कानून के प्रावधानों के तहत भूमि अधिग्रहण में कठिनाई जताई थी. संप्रग सरकार के दौरान पारित कानून में संशोधन के लिए इस मुद्दे पर लाये गये अध्यादेश को उचित ठहराते हुए नायडू ने कहा कि उन फीडबैक के आधार पर सरकार सिर्फ समय पर भूमि अधिग्रहण में सहयोग करना चाहती है और वह भी अवसंरचना और किफायती आवास आदि के उद्देश्य से.
उन्होंने कहा, ‘आप सभी इस बात की सराहना करेंगे कि किसानों को दिये जाने वाले मुआवजे के भुगतान और विस्थापित लोगों के लिए शुरू किये जाने वाले पुनर्वास के उपायों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.’ उन्होंने कहा कि विपक्ष और सरकार के बीच ऐसे मतभेदों को दूर करने और आगे का रास्ता तलाशने के लिए संसद सबसे उचित मंच है. आइये एक दूसरे को समझें, ताकि किसानों के हितों की रक्षा करते हुए अवसंरचना और देश के आर्थिक विकास का व्यापक उद्देश्य हासिल हो सके.
विपक्षी दलों के सहयोग की अपेक्षा के साथ उन तक पहुंचने का सरकार का प्रयास ऐसे समय सामने आया है जब भूमि अध्यादेश के मुद्दे को लेकर विरोध बढ रहा है. गांधी वादी नेता अन्ना हजारे कल से यहां जंतर मंतर पर धरना देने वाले हैं जबकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी यहां 25 फरवरी को धरना आयोजित करने की तैयारी में है. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि आज की सर्वदलीय बैठक की मुख्य बात यह थी कि ज्यादातर राजनीतिक दलों के नेताओं ने संसद के सुचारु कामकाज की वकालत की.
बैठक में नेताओं ने सत्र के दौरान पिछले कुछ समय में कुछ भाजपा नेताओं और संघ परिवार के सदस्यों के विवादास्पद बयानों, चर्चों पर हमले, स्वाइन फ्लू की स्थिति, किसानों की समस्यायें आदि मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग रखी. संसद के दोनों सदनों के 42 नेताओं ने अपनी राय रखी. सपा, राजद और बसपा का प्रतिनिधित्व बैठक में नहीं था. कुछ सदस्यों ने हाल में प्रकाश में आये कारपोरेट जासूसी मामले पर चिंता जताई जदयू नेता शरद यादव ने इसकी विस्तृत जांच कराने की मांग की.
भाकपा के डी राजा ने महाराष्ट्र में कामरेड गोविंद पानसरे की हत्या के मामले को भी उठाया. संसद के बजट सत्र का पहला भाग 20 मार्च तक जारी रहेगा और एक महीने के अवकाश के बाद 20 अप्रैल से इसका दूसरा भाग शुरू होगा. बजट सत्र आठ मई को समाप्त होगा. बजट सत्र के पहले भाग में सरकार को अध्यादेशों के स्थान पर छह विधेयक पारित कराने हैं.