कर्तव्यों के साथ ही मौलिक अधिकारों पर अधिक ध्यान दें छात्र

भुवनेश्वर: प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम ने शिक्षा को चरित्र और बुद्धि को आकार देने वाली प्रकिया बताते हुए आज छात्रों से कहा कि वे अपने कर्तव्यों के साथ ही मौलिक अधिकारों से अवगत हों. न्यायमूर्ति सदाशिवम ने यहां केआईआईटी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे चरित्र निर्माण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2013 12:06 AM

भुवनेश्वर: प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम ने शिक्षा को चरित्र और बुद्धि को आकार देने वाली प्रकिया बताते हुए आज छात्रों से कहा कि वे अपने कर्तव्यों के साथ ही मौलिक अधिकारों से अवगत हों.

न्यायमूर्ति सदाशिवम ने यहां केआईआईटी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे चरित्र निर्माण होता है बुद्धि का विकास होता है.

उन्होंने व्यक्तित्व के समग्र विकास में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए छात्रों से कहा कि वे अपने कर्तव्यों और अधिकारों दोनों के प्रति समान रुप से सजग रहें. उन्होंने लेखक मैल्कम ग्लैडवेल को उधृत करते हुए कहा कि प्राकृतिक प्रतिभा अपेक्षित बुनियाद है लेकिन असाधारण कड़ी मेहन सफलता का मूल मंत्र है.

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